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________________ ( २०९ ) श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० स्वीदा भा० काउचाई पुत्र धीराने अपने कल्याणार्थ श्री शीतलनाथ का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय त्रिभवीया म० श्रीधर्मशेखरसूरिने थिरापद्रपुर में की ! ( ५१ ) सं० १२६३ वैशाखशु० ६ गुरुवार के दिन शा० टीला पुत्र शा० लूणाने माता पिता के श्रेयार्थ श्रीपार्श्वनाथ की प्रतिमा करवाई, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीदेवसूरि के शिष्य श्रीवयरसेनसूरिने की । ( ५२ ) सं० १५३४ वैशाखकृ० १० रविवार ( सोमवार) के दिन प्राग्वाटज्ञातीय व्यव० शैलराज भा० तेजूबाई पुत्र अजा ( अजयराज ) मा० वमीबाई पुत्र नरपालने पितृव्य व्य० वाछा ( वत्सराज ) डाहा, पांचा आदि परिजनों सहित श्री श्रेयांसनाथ का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा डीसा - नगर में श्रीसूरिने की । ( ५३ ) सं० १६१५ चैत्रक० ५ गुरुवार के दिन श्रीश्रीमाल - १ लेखाङ्क ३०२ में सोमवार लिखा है । १४ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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