SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 221
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २०८) स्वामि श्रीश्रेयांसनाथ का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय त्रिमवीया श्रीधर्मशेखरमरिने की। (४७) सं० १६१८ माघशु० १३ प्राग्वाट सोनीगोत्रीय सामा की पुत्री सोनीदेवीने श्रीआदिनाथ प्रभु का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा तपागच्छीय श्रीविजयदानसरिने की। (४८) सं० १५१० आषाकृ० १ शुक्रवार के दिन उपकेशवंश में भणशालीगोत्रीय महाजन माला भा० माल्हवदेवी के पुत्र कावा श्रावकने अपने बन्धुगण गुणिया, डूंगर, पुत्र मादा, वदा, राजा प्रमुख परिवार सहित श्रीशान्तिनाथ का बिम्ब स्वपुण्यार्थ करवाया, जो खरतरगच्छीय श्रीविजयराजरि के पट्टधर श्रीजिनभद्रसरि के द्वारा प्रतिष्ठित हुआ। ___सं० १५२८ वैशाखशु०५ गुरुवार के दिन प्राग्वाट. ज्ञातीय संघवी काला भा० माल्हणदेवी पुत्र सं० रत्ना मा० लाम्बूबाई सं० भीमाक(भीमराज)ने भा. देवमति परिवार सहित खकल्याणार्थ बृहत्तपापक्षीय श्रीज्ञानसागरसूरि के द्वारा श्रीसुविधिनाथ का बिम्ब भराया। (५०) सं० १४९९ काकिशु. १५ गुरुवार के दिन "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy