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परिशिष्ट ]
[ १५ विजयराज्ये उसवालज्ञातीय श्रीअहम्मदावादवास्तव्यः भणसाली .......भार्याबाई मूली भणसाली कमलसी भार्यालाई कमलादे पुत्र भ० लखराज भार्याबाई वरबाई पुत्र भ० सदूपा भणसाली लखराज प्रमुखयुतेन श्रीश्यांतिनाथबिम्बं सपरिकरण कारितं प्रतिष्ठितं च बृहत्खरतरगच्छे श्रीजिनमाणिक्यसूरि पट्टालंकार दिल्लीपति पातस्याह श्रीजहागौरप्रदत्त युगप्रधानविरुद्धारक श्रीजिन चंद्रसूरिभिः तत्पट्टे भट्टारक श्रीजिनसिंहसरिभिः।।
बिम्ब ८ मूल सफेद सहित परिकर युक्त । दूजो मंदिर
सम्वत १५८७ ( ? १८८७) मिते वैशाख सित १३ ज्ञवासरे राजश्रीगोहिलवंशे कुंअरनोंघराजीविजयराज्ये श्रीपादलिप्तनगरे श्रीअजमेरवृद्धशाखायां उकेशज्ञातीय............पुत्र हिमरांमजी तत्पुत्र.... ....लक्षमी प्रमुख कारापितं श्रीकुंथुनाथविम्बं स्थापितं श्रीवहत्खरतरगच्छे भट्टारक जंगमयुगप्रधान श्रीजिनहर्षसूरिजीविजयराज्ये, पं० देवचन्द्र प्रतिष्टितं ।
श्री श्री श्री बिम्ब ७ मूलनायक सफेद पंचतीर्थी इहै । तीजो मंदिर
संवत १८८८ मा० शु० श्रीश्रीमालवंशे इसढोणगोत्रे सुरतरांम पुत्र चुनीलाल तत्पुत्र कालकादासेन लखनउनगर वस्तव्येन श्री अजितजिनबिम्बं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्भद्रारक खरतर ग. जिनाक्षयसरि पाइचंचरीक श्रीजिनचंद्रसरिभः स्वयोर्थ ।।
बिम्ब ३, सफेद । जीमणेपासेरी विगत ।
पोलरे पासे प्रथमखाडो, पडुवा, आगे मरुदेवी मातारो देहरो। आगे नरसी नाथारो देहरो वणे छ। चिलगच्छ है। रहवासममोईमे है। श्रीहालखण्डीरो देहरो दोलुमल हरषचंदरो है, तिहां मूल प्रतिमा मे नाम जंगम श्रीजिनचंदसूरि प्रतिष्ठितं.......संपवा, आदिनाथबिम्ब
"Aho Shrut Gyanam"