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[ परिशिष्ट श्रीखरतरगच्छे । भगवान से जीमणे पासे प्रतिमाका बारबाट श्राविकाया धर्मनाथबिम्बं श्री बृहत्खरतरगच्छे युगप्रधान श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः । मूलनायकसे डाबे पासे
संवत १८६३ प्रमिते शाके १७५८ प्रवर्त्तमाने माघमासे सित १० बुधौ श्री पादलिप्तनगरे गोहिल श्रीकांधाजी कुंवरनोपणजी राज्ये श्रीआदिनाथबिम्बं कारितं प्रतिष्ठितंच श्री बृहत्खरतरगच्छे भ०जव्यु. प्र० श्री जिनहर्षसूरिभिः ॥ जीमणे पासेरी विगत
!! सम्वत १८८८ भा० सु० ५ श्रीश्रीमालवंशे इण्ठोणगोत्रे सूरतरांम पुत्र चुनीलाल तत्पुत्र कालकादासेन लखनऊ नगर वास्तव्येन श्रीऋषभजिनबिम्ब कारितं प्र. श्रीबहतभट्टारकखरतरगच्छे श्रीजिनाक्षयसूरि पाद चंचरीक श्रीजिनचन्द्रसूरिभि :
एनाम प्रतिमाजी मे हैं। नीचे पटडी मूंकी तिणमें एनाम लिखे हैं सो जाणना ! चौमुखजीमे पहेली पोले बड़ता पासे डावे पासे मंदिर है तिनरी विगत । ४ मन्दिर श्रीखरतरगच्छे राजश्रीरायसिंहजी राज्ये श्रीजिनमाणिक्यसूरि पटै युगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरिभिः शिष्य आचार्य श्रीजिनसिंह सरि समयराजोपाध्याय वा० पुण्यप्रधान प्र०॥ मुह आगे प्रतिमा तिणमे लिख्यो है
॥ सम्वत् १५ (१६) ६२ वर्ष मि० माघ शु०१ श्री अमरसरसंघेन कारितं श्रीपार्श्वनाथबिम्ब प्रति० श्रीजिनराजसूरिभिः।।
बिम्ब ५ मूलवेदी मे सफेद, पाला २ जामे दोय बिम्ब । दर एक मंडोरियो। मंदिर पाचो
सम्बत १७६१ (? १८६१) वैशाख शुदि सप्तमी सा० उदैसिंघ पुत्र सा० लख............पाश्र्वनाथबिम्ब कारितं अजितनाथ चौमुख है। बिम्ब १६ नीचे रखा है मंडोरीयो।।
"Aho Shrut Gyanam"