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जैसलमेर
(किले पर) श्री ऋषभदेवजी का मंदिर।
शिक्षालेख।
[2592]. (१) ॥ वार सं० २४४ए दत्त सू । सं । ७६५ (५) ॥ ओशवं । संघवीगो । बहादरमबस्तत्पु । मुली (३) चन्प्रस्तन्ना । रायकुंवरी स्वांतसमये सर्व शुन (४) योग्य निमित्त योग्य श्राद्धाधीन स्वलक्ष्मी विधा (५) य सं। १ए आश्विन शु। ए चं! का स्वर्गगता प (६ ) श्वाच्च जेसलमेरु जुर्गोपरि श्रीआदिनाथ जिनप्रासा (७) दे श्रेयो निमित्तं तद्धनव्ययेन नवीन रावट्टी । (७) वधाप्य तत्र सं। १९७० वैशाख शुक्लकादश्यां (ए) शुक्रे दादा श्रीजिनकुशक्षसूरि मूर्ति तत्पा
* शहर के किले. पर श्रीभादिनाथजी के मंदिर में श्रीजिनदत्तसूरि और श्रीकुशलसूरि महाराज की पादुकाएं नवोन स्थापित हुए हैं यहां का यह लेख है।
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"Aho Shrut Gyanam"