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श्रीसींह गिरि ( श्रोदिन के पाट पर)
(२) श्रीतावस ( ३.) श्रीकुबेर ३ (४) श्रीरिषिपालित ४
(शिष्य--४) (१) श्रीधएणगिरि १ (२) श्रीवयरस्वामि । न शिष्य ३ (३) श्रीसुमित ३ (५) श्रीअर्हदिन्न ४
(शिष्य--३) (१) श्री वयरसेन १ (५) श्रीपद्म २ (३) श्रीआर्यरथ ३
श्रीवयरस्वामि (श्रीसिंहगिरि के पाट पर)
श्रीवत्रसेन (श्रीवयरखामी के पाट पर)
श्रीार्यरथ (श्रीवयरस्वामी के तीसरे शिष्य )
श्रीपुष्पगिरि (श्रीआर्यरथ के शिष्य)
श्रीफल्युमित्त (श्रीपुष्पगिरि के शिष्य )
श्रीधणगिरि (श्रीफल्गुमित्त के शिष्य)
"Aho Shrut Gyanam"