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________________ ( ६७ ) पढे । नवपक्षक रासन पुत्र नवनदक राजाल पुत्र श्री नवलक्षक सा नेमिचं सुश्रावकेण साह वोरम पुमाऊ देवचंड कान्हम महं ।। संवत् १५५१ वर्षे श्री श्री श्री चनवीस इन्जी रो परघो महं वगवते नरायो । चौवीस जिनमाता के पट पर । [1351] ॥ संवत् १६०६ वर्षे फागुण वदि ७ दिने श्री वृहत् खरनग्गछे। श्री जिन ना सूति सन्ताने । श्री जिनचन्द्र सूरि श्री जिनसमुत्र सूरि पट्टे ॥ श्री जिनइंस सूरि तत् पट्टालंकार श्री जिनमाणिक्य सूरिभिः प्रतिष्टिता श्री चतुर्विशति श्री जिनमातृणां पट्टिका कारिता । श्री विक्रमनगर संघन । चरण पर। [1352] संवत् १७५ वर्षे शाके १७७० प्रमिते माधव मास शुक्ल पद पौर्णिमास्यां तिथौ गुरुवार वृहत खरतर गणाधीश्वर ज । जंग। युग प्र० श्री १०७ श्री हर्ष सूरि जित्नक श्री संघन काराफ्तिं प्रतिष्ठितं च जण । ०। यु । प्रण। श्री जिनसौनाग्य सूरिनिः श्री विक्रमपुर वरे ॥ श्री ॥ श्रामन्दिर स्वामी का मन्दिर-लामासर । [1353] सं० १५३७ वर्षे मार्ग सुदि १५ जकेश ज्ञातीय बांह दिया गोत्रे सा सवर पुत्रेण सा0 जानु ...... युनेन श्री पद्मप्रन चिंचं कारितं तपा जा श्री हिमसमुझ सूरि पट्टे श्री हेमरत्न सूरिभिः । [13641 सं० १५७ वर्षे प्राग्बाट श्रेण गोगेन ना राणी सुत वरसिंग ना बीबू नाम्न्या जात "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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