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________________ सा पासा पुत्र ऊदा जा0 पऊमादे पुण् कामा गयमल देवदत्त ऊदा पुण्यार्थ शांतिनाथ विंबं कारापित उपपल सिद्ध सूहिनिः प्रति .... । [1848] संवत् १६२७ वर्षे पोष वदि ३ दिने साह काजड़ गोत्र माह चापसी नार्या नारंगदे पुण् श्री वासपु श्री वासुपूज्य बिंबं कागपितं प्रतिष्टितं श्री हीरविजय सूरिभिः। जैन उपसरा का शिला लेख । [1349] (१) पृथवी नल मांहे प्रगटः बड़ो नगर बीकाण । (२) सुग्नसींह महागजजुः गज करै सुविहाण ॥१॥ (३) गुणी कमामाणिक्य गणिः पाठक पुन्य प्रधान । (४) बाचक विद्या हेमगणिः सुप्रत सुग्व संस्थान ॥ २ ॥ (५) सय अढार गुणासह में महिवान महागज । (६) नव्य बनाय नपासरी दियो सदा थित काज ॥३॥ श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का मन्दिर बाजार में । शिलालेख । [1350] . ॥ संवत् १५६५ वर्षे आषाढ़ सुदि ए दिने वार रवि । श्री बीकानेर मध्ये महाराजा राई श्री श्री श्री वीकाजी विजयराज्ये । देहगे करायो श्री संघ । संवत् १३०७ वर्षे श्री जिनकुशल सूरि प्रतिष्ठितः ॥ श्री मंगोवर मूलनायक ॥ श्री श्री आदिनाथ चतुर्विशति "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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