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________________ ( प ) [1300] संवत् १६ए६ वर्षे मिगसिर सुदि १० रवौ उपकेश झातीय लघु शाखायां बुरा गोत्र फुमण गोत्रे वाइ गेलमादि पुत्र गकुरसी टाइसिंघ श्री कुन्थुनाथ बिंबं कारापितं श्री तपागडे गुरु श्री विजयदेव सूरि तत्पटे विजयशिव सूरिः प्रतिष्ठितं ॥ [ 13101 संवत् १६एए वर्षे वैशाख शुक्ल ए दिने ................ श्री शांतिनाथ विंबं कारितं प्र० तपागछे श्री विजयसिंह सूरिनिः॥ [1311] संवत् १६एए वर्षे फागुन विदि तिथौ साप पुरुषाकेन शीतल बिंत्र कारितं प्रतिष्ठितं ..... गन्छे आचार्य श्री विजयसिंह सूरिनिः ॥ [ 1312 ] संवत् १७१५ श्री श्रीमाल ज्ञातौ शाह आला नार्य अणुपमदे पुत्र थिर पालेन बातृ लूणसिंह ". निज नार्या .... (नमित्तं श्री पञ्चतीर्थी का0 प्र० श्री नागेन्द्र गछे श्री पद्मचन्द सूरि पट्टे श्री रत्नाकर सूरिनिः॥ चौवीसी पर। [ 1313} संवत् १५३० वर्षे पौष विदि ५ शुक्रे श्रीभोढ झातीय मे0 काण्हा नार्या काचू सु० भूराकेन ना माई सु० अजनरामा सहितेन पितृत्रातृश्रेयसे स्वपूर्वजनिमित्तं श्री कुन्थुनाथ चतुर्विंशति पट्टः कारितः प्रति श्री विद्याधरगच्छे श्री विजयपन सूरि पट्टे श्री हेमप्रन सूरिनिः । वर्तमान नगरे ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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