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________________ ( ५० ) पुत्र शा० देवदत्तेन स्वपितृपुन्यार्थेन कारितं श्री आदिनाथ बिंबं प्रतिष्ठितं श्री धर्मघोष गछे जहारक श्री पाणंद सूरि पट्टे श्री नन्दिवर्द्धन सूरिजिः ॥ [1304] सं० १९७६ वर्षे माघ सुदि ५ रवौ उप० झा० टप गोत्रे द्वे० सदा जा सक्तादे पु० थिरपाल जा० पेमलदे पु० सहसमल हापा जगा सहितेन पितृ नि० श्री मुनिसुव्रत बिंबं कारितं प्र० श्री सरगछे श्री शांतिसुन्दर || [1305] संवत् १८०२ वर्षे आषाढ सुदि ए दिने यादित्यनागगोत्रे तेजाणी शाखायां शा० मुहमा पु० दासा पुत्र सखारण दा० नरपाल सधारण जार्या सुहवंदं पुत्र ४ श्री करणरंगा समरथ अमीपाला सखारण स्वपुण्याय कारितं । श्री जपकेश ग जट्टा० श्री सिद्ध सूरिजिः श्री जिनन्दन बिंबं प्रतिष्ठितं स्वपुत्रपौत्रीय श्रेये मातु ॥ [1306 ] संवत् १५ वर्षे वैशाख विदि १३ सोमे श्री सएकेरगछे ऊ० जएकारी गोत्रे न० ईसर पु० बीसल जा० कील्हूपत्ते निमित्तं श्री नेमिनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री शांति सूरिजिः ॥ [1307] संवत् १६१५ वर्षे वैशाख पदि १० जोमे जवाब वास्तव्य ढूंबम ज्ञातीय मंत्रीश्वर मोत्रे दोसी श्रीपाल जा सिरीयादे सुतं दोसी रूढाकेन जा० राणी युतै श्री पद्मप्रन बिंबं तपा श्री तेजरत्न सूरिनिः प्रति० ॥ [1308] संवत् १६४३ वर्षे फाल्गुन सित ११ अहमदाबाद वास्तव्य बाई कोमकीसइया प्रारबाट सेवि मूला जा० राजलदे पुत्री श्री व्यादिनाथ बिंबं प्रतिष्ठितं श्री विजयसेन सुरिनिः श्री तपागछे ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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