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[11031 सं० १५६६ वर्षे फ व० ६ गुरौ प्रा॥ सा तोला ना० रुषमिणि पुरा गांगाकेन जा० पीबू पु० लाला लोला सापादि कुटुम्बयुतन श्री पार्श्वनाथ बिंबं कारितं प्र० तण श्री सोमसुन्दर सूरि सन्ताने श्री कमलकरस सूरि पट्टे श्री नन्दकल्याण सूरिनिः ॥ श्रीः ॥ श्री चरणसुन्दर सूरिचिः॥
[1104] सं० १५५६ वर्षे ज्येण शु२ दिने प्राग्वाट झातीय ज्यायपुर वा० साप हापा जा दानी पुण् सुश्रावक सा सरवण ना मना नाम सा० सामन्त ला कम्म पुण् सा सूरा सा० सीमा पता प्रमुख समस्त परिवार युतैः निज पुण्यार्थ श्री श्रेयांस बिंब कारित प्रण श्रीमत्तपा गछे श्री पूज्य श्री आनन्द विमल सूरि पट्टे सम्प्रति विजयमान राजा श्री विजयदान सूरिजिः॥
[1105] सं० १६६७ वर्षे ज्येष्ठ वदि ध लोढा गोत्रे प । साता इर्षमदे सु० कएराकेन सुत वार दास प्रमुख कुटुम्ब युतेन श्री नमिनाथ बिंचं कारित प्र० तपागले श्री विजयसेन सूरीयां निदेशात् ज० श्री साय विजय (?) गणिनिः ॥
[11081 संवत् १६६ वैशाष सुदि ७ उदयपुर वास्तव्य उसवास ज्ञातीय वरमिया गोत्रे सा० पीथाकेन पुत्र पोषादि सहितेन विमलनाथ बिंब का प्र० ता नहारक श्री विजयदेव सूरिनिः। स्वाचार्य श्री विजयसिंह सूरिभिः ॥
[11071 सं० १६ए० वर्षे ज्येष्ठ सुदि ५ सोमे उकेस वंशे मांगरेचा गोत्रे सा गोविन्द नार्या गारवदे पुत्र सा समरथ श्री खरतरगच्छे श्री जिनकीर्ति सूरि श्री जिनसिंह सूरिनिः प्रतिष्ठितं।
"Aho Shrut Gyanam"