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________________ ( হবে ) [1097] संवत् १९३३ वर्षे माघ सुदि १३ सोमे श्री प्राग्वाट ज्ञातीय सा० नाऊ जा० हांसी पुत्र सा० ठाकुरसी सा० वरसिंघ जातृ सा० वीसकेन जा० सोनी पुत्र सा० जीणा महितेन श्री अचलगनेश श्री श्री श्री जयकेसरि सूरीणामुपदेशेन श्री नमिनाथ बिंबं कारितं प्र० श्री संघेन मांदी ग्रामे || श्री श्री ॥ [ 1098] || सं० १५३५ वर्षे मार्ग वदि १२ साघुला गोत्रे साद पाल्हा जा० रहणादे पु० सा तेजा जा० तेजलदे पु० बलिराज वीसल लोला । मालिकादि युतेन श्री पार्श्वनाथ बिंबं hoto श्री धर्म श्री पद्मशेषर सूरि पट्टे श्री पद्माद सूरिजिः ॥ [ 1099 ] सं० १५३६ वर्षे मार्गसिरि सुदि १० बुधवासरे श्री संकेर गछे ऊ० तेलहरा गो० सा० ध्वना पु० काल्ह पूजा जा० खलतू पु० टोहा हीरा टोदा जा० वरजू पु० 'स्वश्रे० खाला निमित्तं श्री शीतलनाथ बिंबं का० श्री जिए जद्र ( ? ) सूरि सं० श्री सालि सूरिजिः ॥ [1100] सं० १९४२ वर्षे फा०व० २ दिने जालउर महादुर्गे प्राग्वाट ज्ञातीय सा० पोष जा० पोमादे पुत्र सा० जेसाकेन जा० जसमा चातृ लाषादे कुटुम्ब युतेन स्वश्रेयोर्थं श्री धर्मनाथ बिंबं कारितं तप श्री सोमसुन्दर सन्ताने विजयमान श्री लक्ष्मीसागर सूरिजिः ॥ श्रियोस्तु || [1101] सं० १५५ वर्षे आषाढ़ सुदि १ उसवाल ज्ञाती कनोज गोत्रे सा० वेढा पु० सहसमल जा० सुहिलालदे पु० ठाकुरसि ठकुर युतेन चात्मश्रेयसे माम्हण वितृपुण्यार्थं शीतलनाथ बिंबं का० ॥ प्र० श्री देवगुप्त सूरिभिः ॥ [1102] सं० १५६६ वर्षे वै० व० १३ २० पत्तनवासि प्रा० दो० माणिक जा० रबकू सुत पासाकेन जा० ईडू सु० नाथा सोनपालादि कुटुम्बयुतेन श्रेयोर्थ श्री धर्मनाथ बिंबं कारितं तपागच्छे श्री हेमविमन सूरिजिः प्रतिष्ठितं ॥ श्री ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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