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[1043] सं० १३७५ वर्षे फागुण सुदि... श्री पार्श्वनाथ विम्वं कारिता प्रतिष्ठितं श्री कक्क सूरिनिः॥
[1044] सं० १३६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १५ बुधे श्री माल ज्ञातीय पितामह श्रेण वीटहण पितृ श्रेण सोमा पितृव्य साजण जातृ माहा. श्रेयो) सुत राणा धरणिकान्यां श्री पार्श्वनाथ पश्चतीर्थी का।
[1045] संवत् १३०ए वर्षे माघ वदि ११ गुरौ श्री दाहड़ वीरम श्री चन्प्रन बिम्बं प्रतिष्ठितं ।
__ [1046] सं० १३५१ मड्डारुमीय गछे श्रेण पादा जाप जाइस पुत्र कर्म सीइन पित्रो श्रेयोर्थ श्री महावीरं श्री रत्नाकर सूरि पट्टे श्री सोमतिलक सूरिनिः॥
[1047] संवत् १३पए वै० सुदि १ प्राग्वाड़ श्री अगड़ा नार्या वादहु विम्वं प्र० श्री मावदेव सूरि।
[1048] संग १४०५ वर्षे वैशाष सुदि ५ सोमे श्री श्रीमाल ज्ञातीय पितृ षेता मातृ जगतल देवि तयो श्रेयसे श्री शान्तिनाथ बिम्ब कारितं प्रतिष्ठितं श्री नागेन्छ गछे श्री रतनागर सूरिनिः॥
[1049] सं० १४०६ वर्षे ज्येष्ठ सु० ए रवौ सा“कुटुम्ब श्रेयोर्थ श्री श्रादिनाथ चिम्बं कारितं प्रतिष्ठितं जीरापलीयैः श्री रामचन्न सूरिनिः ॥
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संग १४०७ वैशाख वदि ४ रवी श्री माल ज्ञातीय पितामह उदयसीह पितृ लषणसीह श्रेयसे सुत पोषाकेन श्री आदिनाथ विम्बं कारितं प्रतिष्ठितं श्री गुणसागर सूरि शिष्य श्री गुणप्रन सूरिनिः।
"Aho Shrut Gyanam"