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(२६७) श्री राजा जशसिंध राजे . . . . . .।
[2040] संवत् १५४७ वर्षे वैशाख सुदि १ श्री चंप्रनु विवं कारापितं ।
धातु की प्रतिमाओं पर।
[2041] संवत् १६६० फागुण सुदि १३ साह मनोरथ सदापगामे प्रा. . . . . . ।
[2042] संवत १७०० वर्षे मार्ग सदि शुके राजनगर वास्तव्य ओसवंस झा सा वर्षमान तरपुत्र सा रायसिंघ केन स्वश्रेयोर्थ श्री पद्मावतो विंव कारित प्रतिष्टितं तपा पं० श्री किर्तिः रत्नगणिनिः॥
[ 2048 ] सं० १७०७ व फा सु० सोमे श्रीमाली झा० साए कुंवरजा नाप रतनवाई नाम्न्या न श्री विवेकहर्षजी श्री शांतिनाथ बिंध का प्र० श्री तपा० न० श्री विजयदेव सूरितिः ॥
पंचतीर्थियों पर।
_[2044] सं० १५१२ माघ वदि . . • सोमे नागर ज्ञातीय श्रे० कर्मसी ना फहू सुत जोगी नाम्ना ना नटि सुत मऊयादि कुटुंबयुतेन श्री धर्मनाथ बिंब का प्र० बृहत्तपा श्री रत्नः सिंह सूरिनि ॥
[2045] सं० १५३० वर्षे वैशाख वदि १५ बुधे वडाउला गोत्रे ओस वंशे सा० पेटा जा० माल्ही सुत सा धर्मा नामह पुत्र नापा बाला हीरादि कुटुंवयुतेन आत्म श्रेण श्री शीतलनाथ बिंबं का प्रण श्री संडेर गछे श्री यशवंत सूरिनिः ॥ श्री॥
"Aho Shrut Gyanam"