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________________ ( ५६६ ) ( ३ ) रंगीलदास देवचंद सा पाटन वाला हाल मुकाम येवला तथा मुंबई ( ४ ) वाला गो खजार तथा सजा मंरुपमां जमती सहीत आरस कराव्यो ( ( ) संवत् १९६० सं० सेवक उत्तमचंद वालचंद मंत्री नगरवाला । सजा मंडप के बांये तर्फ के छाले का लेख । [ 2037 ] ( १ ) श्रीमद विर जिनेंद्र प्रणम्य श्री पावापुरी नगरी मधे या श्री जि ( २ ) न बींब स्थापनं शा० रूपचंद रंगीलदास सा पाटन वा ( ३ ) ला हाल मुकाम येवला तथा मुंबई स्वेतांबर घामना धारक वा खाये कराव्या वे संवत् १९६० ( ) ( ५ ) मीली जाईचंद जगजीवन सलाट पालीताणा वाला । 符 ** हैदराबाद - दक्षिण । * श्री पार्श्वनाथ जी का मंदिर - बेगम बजार | मूलनायक जी पर | { 2038 ] सं० १५५ वर्षे || महा सुदि ९ सोमे श्री पार्श्वजिन बिंबं कारितं . . . पाषाण की मूर्ति पर । [ 2039 ] संवत् १५४८ वैशाख सुदि ३ श्री संघे जट्टारक जी श्री जिन तपापति वाक जी प्रति० यहां के लेख स्वर्गीय पं० घालचंद्रजी यति से प्राप्त हुवे थे । 1 "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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