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________________ ( २५१ ) कायोत्सर्ग मूर्तियों पर [1986] ( १ ) ॥ ॐ ॥ सं० १४६४ वर्षे आषा० शु० १३ दिने गूर्जर ज्ञातीय ज (२) साली लापण सुत मं० जयतल सुत मं० सादा जार्या सुम ( ३ ) दे सुत मं० वरसिंह जातृ मं० जेसाकेन मार्यो श्रृंगार दे पुत्र ( ४ ) हरिचंद्र प्रमुख सकल कुटुंबसहितेन स्वश्रेयसे प्रभु ( ५ ) श्री पर्श्वनाथ प्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता श्री सूरिनिः ॥ [1987] लूं प्रा ॥ ॐ ॥ संवत् १४७५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ७ गुरुवारे श्रीमाल ज्ञातीय मंत्रि सुत नंदिगेस | सुत पुत्र सा० खासा सुश्रावकेष श्री पार्श्वनाथ बिंब स्वपुण्यार्थे कारितं श्री खरतर गठे भो जिनवर्द्धन सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ आचार्यों के मूर्तियों पर | [1988] || ॐ || सं० १३०१ वैशाष वदि । श्रीपत्तने श्री शांतिनाथ विधि चैत्ये श्री जिनचंद्र सूरि शिष्यैः श्री जिनकुशल सूरिभिः श्री जिनप्रबोध सूरि मूर्तिः प्रतिष्ठिता । कारिता च सा० कुंमरपाल रत्नैः सा० महणसिंह सा० देपाल सा० जगसिंह सा० मेदा सुनावकैः सप[रवारैः स्वश्रेयोर्थं ॥ छ ॥ [1980] संवत् १४०१ वर्षे माद सुदि ५ बुधे नवलक गोत्रे सा० सयपाले स्वपुण्यार्थे श्री जनवर्द्धन सूरि पट्टे श्री जिनचंद्र सूरीयां मूर्तिः प्र० श्री जिनसागर सूरिजिः ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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