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(२४५) पुंडरिकजी के मूर्ति पर।
[ 1062] संवत् १६०ए वर्षे आषाढ बहुल ४ शनौ देलवाड़ा वास्तव्य शवर गोत्रे ऊकेश झातीय वृद्धशाखीय सा मानाकेन जाय हीरा रामा पुत्र माया रांगा फया युतेन स्वश्रेयसे श्री पुंडरीक मूर्तिः कारापितं प्रतिष्ठितं संझेर गछे च० श्री मानाजी केसजी प्र० ॥
श्राचार्यों के मूर्ति पर।
[1963]
. . . जिनरतन सूरिगुरु मूर्तिः कारिता प्रतिष्ठिता . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
{ 1984] संवत् रथ६ बर्षे ज्येष्ठ वदि ५ दिने नवपद शाखीय सा रामदेव नार्या श्री मला. देच्या श्री जिनवर्द्धन सूरि मूर्तिः कारिता प्र० श्री जिनचं सूरिभिः ।
[10651 संवत् १४६ वर्षे ज्येष्ठ वदि ५ सा रामदेव नार्या मेला देव्या श्री डोणाचार्य गुममूर्तिः कारिता प्र श्री वरतर गल्छे श्री जिनचं सूरिभिः ।
श्वेत पाषाण को कायोत्सर्ग मूर्तियों पर ।
[1986] * (१) ॥ ए ॥ संवत् १४५३ वर्षे वैशाख वदि ५ . . . . . यवम प्रासाद गौष्टिक प्राग्वाट
ज्ञातीय व्यव० जांजा ज्ञान
* यह लेख घोरीवाय नामक स्थान में मिट्टी से निकला हा विशाल मूर्ति के चरण मौकी पर है
"Aho Shrut Gyanam"