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(२४४) हस्त्रकरावतारैः श्री मजिनसागर सूरिभिः ॥ (७) सदा वन्दंते श्रीमद् धर्ममूर्ति उपाध्यायाः घटितं सूत्रधार मदन पुत्र धरणा सोम- पुराध सूत्रधारः रोमी ढंरो रुग्रोवीकान्यां ॥ आचंडार्क नंयात् ॥ श्रीः ॥ ॥ ___ सजामंडप के बायें तर्फ स्तम्ल पर।
[1059] (१) संवत् १७ वर्षे वैशाष सुदि ११ सोमे साहाजी श्री जेठमल जी तागचंद जो कोठारी जात श्री........... साद जी श्री उदेचंदजी .........
पाषाण की टूटी चौवीसी पर ।
[1060] (१) ॐ सं० १४२५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १४ बुश्वारे ऊकेश वंशे नववक्षा गोत्रे साधु श्री
रामदेव पुत्रेण माम्हण देवि पुत्र ...... (२) कारकेण निज नार्या । जिनशासन प्रजाविकाया हेमा दे शाविकाया पुराचार्य श्री
सप्ततिशत जिनानां कारितं...... (३) तत्पट्टे श्री जिनसागर सूरिभिः ।
देलवाड़ा-मेवाड़। * श्री पार्श्वनाथजी का बड़ा मंदिर।
मूखनायकजी पर।
[10010 सं० १४०६ श्री पार्श्वनाथ विंचं सारा सहया .......
..बह खान प्राचीन है।"देव कुलपाटक" नामकी पुस्तक में लेखों के साथ यहां का वर्णन है।
"Aho Shrut Gyanam"