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________________ (१४ ) पुत्रादि धर्म कुटुंब समुदये पितृ सारा काकड श्रेयसे सा पाठहाकेन श्री (1) षडेर गछे श्री पार्श्वनाथ चैत्ये देवकृलिका श्री श्रादिनाथच कारितं प्रa वादी श्री धर्मघोष सुम्पिक्रमे श्री श्रानंद सूरि शिष्य श्रमसन सूरिनिः॥ [1035] (१) ॥ संवत् १३५५ वर्षे पौष सुदि ७ वा श्री चित्रकूट स्थाने महाराजाधिराज पृथ्वी. चंड ...... (२) श्री मालदेव पुत्र श्री वणवीर सक्कं सिलदार महमद देव सुइड सींह चउमरा सरकं पुत्र . . . . .. (३) दिवं गतं तस्य सत्कं गोमट कारापितं : ॥ [10561 (१)॥ ॐ ॥ स्वस्ति ॥ संवत् १४५१ वर्षे ॥ माघ मासे शुक्ल पक्षे पंचम्यां तियो बुध वारे श्रीमाल झातीय मठिया गोने सा० बाहर सा० धाना जा इल्हा पुत्र सं० हेमराज सं० थिरराज सं० लालू सं० गश्शाल कु .. (२)... दे पुत्र सा हेमराज पुत्र समुअपाम नार्या . . . . श्रेयसे श्री पार्श्वनाथ विवं कारापितं प्रतिष्टितं श्री खरतर गछे श्री जनप्रन सूरि अन्वये । श्री जिनसर्व . सरि पहे श्री जिनचं सूरिनिः॥ [1067] ( १ ) ॥ ॐ ॥ सं० १४९६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ३ बुधवारे श्री अकेशा वंशे नाहट शाखावां । सा० माजण पुत्र साव व (२) वीर पुत्र सा जीमा । वीसा रणपाल प्रमुख पौत्रादि परिवार सहितेन श्री करइटक स्थाने श्री पार्श्व (३) नाथ जुषने श्री विमलनाथ देवस्य देवकुलिका कारापिता ॥ प्रतिष्ठिता श्री खरतर गछे श्री जिनवर्द्धन सू. "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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