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________________ ( २४१) 11052 (१)॥ॐ ॥ संवत् १३३ वर्षे फागुण सुदि ७ शनौ नां देवान्वये साधु पउमदेव सुत संघपनि साधु श्री पासदेव नार्या पढ़ी पुत्राश्चत्वारः सा० देहड साप काजल रउन (२) बाहड पौत्र जिणदेव दिवधर प्रभृतिभिः देवकुलिका सहित श्री सुमति नाथ बिंबं का प्रा वादी श्री धर्मघोष सूरि गई श्री मुनिचंड सूरि शिष्यैः । गुणचंड सूरिभिः ॥ ॥ [ 1053] (१)॥ॐ नमः ॥ संवत् १३३ए फागुण सुदि ज शनों श्री राज गल्ले साधु नेमा सुत पार सत तनुज साधु नाइड तत्पुत्रास्त्रयो यथा सा काकढ नार्या नान्ही पुत्र पाहा ।। (२) ना धर्मसिरि देपाल नायर्या देवश्री तथा साप नरपति पत्नी लक्षतू हि पत्नी नायक देवी पुत्राः सा सहदेव सा हरिपाल नार्या हीरा देवी वि० हरिसिणि पुत्र महोपाल (३) देव तृहिमश्री सा कुमरसिह तथा सा तेजा सार्या लीलू पुत्र धरणिंग पून सीह एतस्मिन्ननुक्रमे पितृ सा नरपति श्रेयसे सा हरिपालेन श्री पंझे ॥ (४) र गछे प्रतिवद्ध श्री पार्श्वनाथ चैत्य देवकुलिका सहित श्री शांतिनाथ विंचं का प्र० वादी श्री धर्मघोष सूरि पट्टको श्री थानंद सूरि शिष्यैः श्री अमरपन सूरिनिः ॥ [ 1054] (१)॥ ॐ ॥ सं० १३३९ वर्षे फा० सुदि ७ शनी श्री राज गछे सानमा सुत सा० धार सत सुत सा गहड़ तत्पुत्रास्त्रयो यथा सा काकढ भार्या नान्ही पुत्र पाहा ना । (१) धर्मसिरि देपाल नार्या देवश्री पुत्र तथा साप नरपनि नार्या सततू हि नायक देवी पुत्राः सा सहदेव सा० हरिपाल पत्नी हीरादचो हि० हरिसिणि पुत्र महीपा. (३) स देव तृ० हेमश्री कुमारसीह तथा साप तेजा जाय लीलू पुत्र धरपिग पूनसीह "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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