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________________ ( शए ) [1801] ॥ संवत् १६२७ वर्षे वैशाष सुदि ११ बुधे नारदपुरी वास्तव्य प्राग्वाट ज्ञातीय सान्टीला सुन सा चूमाख्येन नार्या वाई पानु सुत लाधा हीता प्रभृति कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्री धर्मनाथ विंध का रितं प्रतिष्ठितं तपागछाधिराज जट्टारक श्री हीरविजय सूरिनिश्चिरं नन्दतात् ।। श्री झपनदेवजी का मंदिर-हाथीपोल । पंचतीर्थी पर। [1892 ] ॥ सं० १३४२ ज्येष्ठ शुग ए गुरौ गेपुत्रौशन(?) झातीय व्यव० पुनाकेन जार्या .. श्रेयसे श्री पद्मप्रन विधं का प्र० श्री सुमति सूरिनिः॥ श्री रुपनदेव जी का मंदिर - कसैरी गली। पंचतीर्थियों पर। [1803] ॥ सं० १५०१ बर्षे श्राषाढ सुदि ५ उपकेश ज्ञातीय....श्री आदिनाथ विंचं काय.... [1894] ॥ सं० १५३३ वर्षे वैशाप सुप ५ शुके श्रीमाल झाण व्यण मेला नाय कवकू सुत मुधाकनपित्तमातञात श्रेयोर्थ यात्मश्रेय श्री सुमति नाथ बिंब काप प्रा श्री नागेंज गडे श्री गुणदेव सूरिभिः ॥ बडेचा सषवाराही ग्रामे वास्तव्य ॥ [1805] ॥ संवत् १५५ वर्षे आषाढ सुदि दिने दूगड़ गोत्रे ना सिरिया पुत्र करमस जायर्या फुला धरमाई पुत्र बीमपाल नरपाल नरपति मातृ श्रेयसे श्री शीतलनाथ चिंचं कारित प्र० श्री वृदा न श्री श्री वसन्न सूरिभिः ।। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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