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________________ (२३०) [1806] ॥ सं० १५७२ वर्षे चैत्र वदि ३ बुधे ऊकशे वंशे वर्शताला गोत्रे साप तोला ना डोडी पुo सा० श्रासाकेन जाग राना दे पु० जीवा द्वितीय जाए अचला दे पुत्र गोव्हा पदमादि परिपार युतेन स्वपुण्यार्थ श्री धर्मनाथ विं का० प्र० श्री खरतर गडे श्री जिनदर्ष सूरि पट्टे श्रो जिनचं सूरिनिः ॥ पं कुशल . . . . सुप.... । श्री गौतमस्वामी की धात की मर्ति पर । [1897) ॥ सं० १६२ए व का० सु० ३ गुरुवारे... सरताण . . .श्री गौतमस्वामि विवं का० . . । धातु के यंत्र पर। [1888] ॥ सं० १९१२ वर्षे मिती आसोज सुदि १५ शुक्र मेदगाट देशे उदयपुर ओशवंशे किशाखायां गोत्र बोल्यां साहाजी श्री एकलिंग दासजी तत्पुत्र साहाजी श्रो नगवान दासजी तत्पुत्र कुंवरजी श्री ......श्री सिद्धचक्र यंत्र कागपितं जट्टारक श्री आनन्द सागर सूरि कारापितं बृहत्तपा गर्छ। श्री ऋषनदेवजी का मंदिर - सेठों की हवेली के पास । मूलनायकजी पर। [1899] (१)॥ ॥ स्वस्ति श्री जिवृद्धि जयो । मंगलाच्युदय श्री ॥ श्रथ संवछरे स्मिन् श्री मन्नृपति विक्रमार्क समयातित संवत् १६एए वर्षे श्री शालिवाहन राज्यात शाके १५६३ (२) ॥ प्रवर्तमाने उत्तरगोले माघ मासे शुक्लपके दशम्यां तिथो गुरुवासरे श्री रामगढ़ दुर्गे महाराजाधिराज महाराव श्री हीसिंघ जी विजयराज्ये ऊपकेश वंशे बृद्धि शाखा "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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