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(१७) पंचतीधियों पर।
[1888] सं० १४०५ वैशाष सुदि ३ ऊएस झातीय बाजहड़ गोत्रे सा गणधर नार्या बसनू पुत्र मोहण जयताकेन पित्रो श्रेयसे श्री श्रादिनाथः कारितं प्रति श्री अजयदेव सूरिभिः ।
[1887] सं० १५१३ वर्षे माघ मासे ऊकेश वंशे सा बव्हा ना सूटही पुत्र सा बाहड़ नाप गरी मुत डूंगर रणधीर सुरजनैः रणधीर श्रेयसे श्री कुंथुनाथ बिवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री यशोदेव मूरिनि: ॥ बाजहड़ गोत्रे ॥
[1888] आँ संवत् १५३६ वर्षे श्री कीर्तिरत्न सूरि गुरुभ्यो नमः सा जेग पुत्र रोहिनी प्रणमति ॥
बाड़मेर-मारवाड़। पार्श्वनाथजी का मंदिर।
[1880] सं० १६६५ वर्षे उकेश वंशे सागकुरसी कु०प्र० क ..... प्रमुख श्री संघेन जम् श्री विद्यासागर गणि शिष्येण श्री विद्याशील गणि शिष्य वा० श्री विवेकमेरु गणि शिष्य पं० श्री मुनिशील गणि नित्यं प्रणमति । श्री अंचल गछे ।
उदयपुर। श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर-सों की बाड़ी में ।
पचतीर्थियों पर।
[1800] ॥ सं० १५०६ वर्षे मा० वदि ५ दिने श्री संडर गछे उप० ज्ञा० सा यासा पु० सात मा० षेठी पु० पितमा मा धारू पुरा लापर ना० माडी पु० पामा स्वश्रेयसे श्री मुविधिनाथ बिंब का प्र० श्री यशोब्रत सूरि संताने गछेशैः श्री शांति सूरिनिः ।
"Aho Shrut Gyanam'