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(१७३) चौविशो पर।
[1775] सं० १५१५ वर्षे का शु शनी श्री श्रीमान झातीय में कहा जार्या राजुन सुत सिंह राज मं० विरुपाकेन पितृमातृवातृश्रेयार्थं श्री कुंथुनाथ चतुर्विशति जिनपट्टः का श्री ज० गुण सुंदर सूरिचिः।
{ 1778] सं० १५२४ वर्षे आ० सुदि १० शुक्रे श्री श्रीवंशे मं० सांगन ना सोहागदे पुत्र मं० वीरधवल ना० गुरी पुष खेतसी जन्मनाम्ना जूताकेन मं० लार्या जयतलदे जातु काला चडया भारपुत्र नोजा देवसी धीरा प्रमुखसमस्तकुटुम्बसहितेन तपितृश्रेयार्थ श्री अंचल गछेश्वर श्री जय केसरी सूरीणामुपदेशेन श्री नमिनाथ चतुर्विंशति पट्टः का प्रण श्री श्री. संधेन श्री भिडंपड़ा ग्रामे ।
शीयालबेट-काठियावाड़।
जैन मंदिर। पाषाण की मूर्तियों पर।
[1777] १। संवत् १२७२ वर्षे ज्येष्ठ यदि ५ रवो अद्यह
। हिंधान के मिहरराज श्री रणसिंह प्रतिपत्तो समस्तसंघेन श्री महावी३ । र यि कारितं प्रतिष्ठितं श्री चन्द्रगठीय श्री शान्तिप्रन सूरि शिष्यैः श्री हरिमन
सूरिभिः ॥
"Aho Shrut Gyanam"