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________________ ( १२० ). [1530] - ॥१५१० वर्षे शाके १७७५ प्रवर्तमाने माघशुक्ल २ तिथौ सोमवासरे सहस्रकूट विबानि प्रतिष्ठितानि बृहत्खरतर नट्टारक गछे श्री जिनदर्ष सूरीणां पहनाकर नहारक श्री जिनमहेंऽ सूरिनिः सपरिकरैः कारितं श्री सदापुर वास्तव्य चो० । गो। श्री हंसराज सद्भार्या सोना विवि तया श्रेयोर्धमानंदपुरे ॥ पं० । प्र० । कनकविजय मुएयुपदेशात् । [1531] ॥सं १९१० वर्षे शाके १७७५ प्रवर्त्तमाने माघ शुक्ल ५ तिथों सोमवासरे सहस्त्रकूट विवानि प्रतिष्ठितानि बृहत्खरतर जट्टारक गछे श्री जिनहर्ष सूरोणां पट्टप्रनाकर जट्टारक भी जिनमहेश सूरिभिः सपरिकरैः कारितं श्री लक्षणपुर वास्तव्य बा । गो। साह उमेदचंद तत्पुत्र हरप्रसाद रामप्रसाद तत्पुत्र जीवनदास धनपतराय तत्पुत्र दूर्गाप्रसादन सपरिकरः अयोधमानंद पुरे । [1532] - ॥ सं० १९१० शाके १७७५ प्रवर्त्तमाने माघ शुक्ल तिथो सोमवासरे सहस्रकूट विधानि प्रतिष्ठितानि बृहखरतर जट्टारक गछे श्री जिनहर्ष सूरीणां पट्टजाकर जट्टारक श्री जिनमहेंऽ सूरिजिः सपरिकरः कारित श्री लखननु समस्त श्री संघेन श्रेयोर्थमानंदपुरे। [1583] संवत् १९१३ शाके १७७७ तिथौ माघ शुक्ल पंचम्या परमाईत श्रीमत् शांति जिन मोक्ष कल्याणक पातुका लक्षणपुर वास्तव्य समस्त श्री संघेन कारितं प्र० च बृहत्वग्तर गच्छीय जं । यु । प्र। श्री जिनचंड सूरि एकूजभृत् श्री जिन जयशेखर सूरिनिः । श्वेताषाण के पंचमुष्टिलोच के नाव पर । - [1534] संबत १९१३ शाके १७ तिथौ माघ शुक्ल पंचम्या दीक्षा कल्याणक पुकाछेस वंशे महता गोत्रे । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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