________________
नाहटा गोत्र राजा वचगज बाबू विशेश्वरदास बाबू नैरुनाथ बाबू वैजनाथ बालू जगन्नाथ धाबू लबमणदास ने चरण जगया वृहखरतर गछे नहारक श्री जिनहर्ष सूरिनिः प्रतिष्ठितं श्रेयार्थ शासन देवो अस्य मंदिरस्य रक्षा कुवतु ॥ श्री ।। श्री ॥ श्री लखनउ नगरमध्ये नवाब साहव सहादतअलि विजय राज्य ।
__[1526] संप १७६४ मिग वै सुण ३ दिने वर्तमान चौविशी २५ नगवान जी के उसवाल वंशे काकरिया गोत्रे खुमालराय। वखतावरसिंह । गोकलचंद। माणकचंद । स्वरुपचंद । रतनचंद । ताराबंद । सपरिवारण चरण वनवाया श्री वृहत्तरतर गछे नहारक श्री जिनहर्ष सूरिनिः प्रतिष्ठितं श्री लखनउ नगरे ।
[1527] . सं० १७३५ मि वै० सु० ३ दिने अनागतचोबिसी जैसवाल वंशे नाहटा गोत्र राजा पन्नाज तत्पुत्र बाबू जगन्नाथस्य जार्या स्वरुपने इं चरणं कारापितं अयोर्थ श्री वृहस्वरतर गई नहारक श्री जिनहर्ष सूरिभिः प्रतिष्ठितं श्री लखनउ नगरे ।
[1528 ] मंण् १७६४ मि वै० सु० ३ दिने २० विहरमान ४ शास्त्रतानि नगरानजी के उलवाला वंशे कांकरिया गोत्रे जेवमल गुजरमल बहापुरसिंह स्वरुपचंद सपरिवारेण चरण बनवाया श्री बृहत्त्वरतर गछे ज० श्री जिनहर्ष सूरि निः प्रतिष्टिनं श्री लखनउ नगरे ।
सहनकूट पर।
[1529] ॥ सं० १९१० वर्षे शाके १७७५ प्रवर्त्तमाने माघ शुक्ल तिथी सोमवातरे सहस्रकूट. बिगनि प्रनिष्टिनानि बृहत्खरता नहारक गछे श्री जिनइर्ष सूीण पष्टप्रनाकर नहारक श्री जिनमछ सूरिनिः सपरिकरैः कारितं श्री लक्षाणपुर वास्तव्य हावत गोछ । श्री जेठमल तत्पुत्र कालकादास तत्पुत्र वनदेवदासेन श्रेयोधनानंदपुरे
"Aho Shrut Gyanam"