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[1432] * ६॥ सिद्धि । सन्तु १४ वर्षे पेशाख सुदि १५ दि - नमो " मद्यावे वेर " करा ब्रह्मजूता सर “मस्या र "यादि घरखंड ढा " औस्व "क"सुत - रिता मु द " व "
[1433] + · ११६० कातिक सुदि १३ गुरू दिने रतन लिषितं राजन ताढ " तधार दिवसम्मि पंच " धंधाना पसावे आदेसू संवतु १५५५ वर्षे चैत सुदी १० बुधे ।
मथुरा। श्रीपार्श्वनाथजी का मंदिर-घीयामंडि ।
पंचतीर्थयों पर।
[1434] ॥ सं १३३५ । श्र० ससीह जार्या मालू पुत्री समिणि मातापित अयस श्री शांतिनाथ का प्र० ब्रह्माणस्य श्रीमदनप्रन सूरि पट्टे श्री विजयसेन सूरिनिः॥
[1435] ॐ सं० १३०० वर्षे माघसुदि ५ उस सुचिंती गोत्रे सा० षीमा पुत्र सा भूषा जोजा" श्रीजिनन सूरि शिष्य श्रीजगत्तिक्षक सूरिनिः । " श्रीपद्मानंद सूरिनिः ॥
[1438] सं० १४६१ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १० शुक्र उपकश ज्ञा० व्या जश्ता पुरा जगपाल ना० पूजबदे पुष खोलाकेन पितृमातृ ० श्रीशांतिनाथ विंबं का प्र० बहाने श्रीरामदेव सूरिनिः ।
* Indo-Aiyans, Vol, II, p. 381.
किले पर "सास बहु के मंदिर की मात पर यह लेख है।
"Aho Shrut Gyanam"