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(a) मकासरे श्रीमलसंधे बनवारगये सरस्वती ग कुंदकुंदाचार्यान्माये । ज श्रीपन
नन्दिदेव तत् पहावंकार थी। (३) शुलचंद देव । तत्पट्ट ज० मणिचंद्र देव । तत्पढे पं मुनि " गणि कचरदेव तदन्वये
वारह नेणीवंशे सालम भार्या व -- (४) युक पु ४ तेषां मध्ये अणंद नार्या उदेसिरि। पुत्र ६ खोहंगराम मुनिसिंघ अजुन
उधरण महू नन्हू । महू नार्या । (A) पियौसिरि पुत्र पारसराम आर्या नव। पुती पुत्र गमास जार्या नामसिरी । तृतीय पुत्र
सिन। चतुर्थ पुत्र रोपण ॥ सौ मस्तु । (१) " तीर्थकर बिंब निषितं प्रणमति प्रीत्यर्थ ।।
सुहानीय।
पाषाण की मूर्तियों के चरणचौकी पर।
[1430 ] * संवत १७१३ माधवसुतन महिन्द्रचन्केन कना खोदिता ।
[1431]+
संवत १७३४ श्रीवजदाम महाराजाधिराज वइसाख वदि पाचमी ."
* Indo Aryans. Vol. II, p. 36g, + Do.
p. do,
"Aho Shrut Gyanam"