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________________ प्राचीनलिपिमाला चलाया. वह बहुत दिन तक चलता रहा और अब सिर्फ मिथिला में कहीं कहीं लिखा जाता है.' ई.स. १७७८ में डॉ. राजेंद्रखाल मित्र ने लिखा कि 'तिरहुत के पंडित इसका प्रारंभ माघ शुका १से मानते है. इसका प्रारंभ ई. स. ११०६ के जनवरी (वि.सं. ११०२-श. सं. १०२७) से होना चाहिये इन पिछले तीमा अवतरणों के अनुसार शक संवत् और लक्ष्मणसेन संवत् के पीच का अंतर १०२८ या उसके करीब पाता है. मिथिला देश के पंचांगों में विक्रम, शक और लक्ष्मण सेन संवत् तीनों लिखे जाते हैं परंतु उनमें शक संवत् और लवमणसेन संवत् के बीच का अंतर एकसा नहीं मिलता किंतु लदमणसेन संवत् १ शक संवत् १०२३-२७, १०२७-२८, १०२६-३० और १०३०.३१ के मुताबिक भाता है. डॉ. कीलहोंने ने एक शिलालेख और पांच हस्तलिखित पुस्तकों में लदमणसेन संवत् के साथ दिये हुए मास, पख, तिधि और वार को गणित से जांच कर देखा तो मालूम हुमा कि गत शक संवत् १०२८मार्गशिर सुदि १(ई.स. ११०६ तारीख २६ अक्टोबर) को इस संवत् का पहिला दिन अर्थात् प्रारंभ मान कर गणित किया जाये तो उन ६ में से ५ तिथियों के पार ठीक मिलते हैं। परंत गल शक संवत् १०५१ अमांत कार्तिक शुक्ला १(इ. स. ११९६ तारीख ७ अक्टोबर) को इस संवत् का पहिला दिन माम कर गणित किया जाये तो छभों तिथियों के बार मिल जाते हैं. ऐसी दशा में अबुलफज़ल का कथन ही ठीक है. इस हिसाब से लक्ष्मणसेन संवत् में १०४०-४१ जोड़ने से गत शक संवत्, ११७५-७६ जोड़ने से गत चैत्रादि विक्रम संवत् और १११८-१९ जोड़ने से ईसवी सन् होगा. यह संवत् पहिले बंगाल, बिहार और मिथिला में प्रचलित था और अब मिथिला में इसका कुछ कुछ प्रचार है, जहां इसका प्रारंभ माघ शुक्ला १से माना जाता है. १६-पुरुषैप्पु संषत् है. स. १३४१ में कोपीन के उत्तर में एक टापू ( १३ मील लंबा और १ भील चौड़ा ) सनद्र में से निकल पाया, जिसे 'बीपीन' कहते हैं, उसकी यादगार में वहां पर एक नया संपत् पता जिसको पुडप्पु (पुछनई; मावादी; मलपाळम् भाषा में) कहते हैं. कोचीन राज्य और उप ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच जो संधि हुई वह तांबे के ५ पत्रों पर खुदी हुई मिली है जिसमें पुडवेषु संवत् ३२२,१४ मीनम् (मीन संक्रांति का १४ वां दिन-ई. स. १६६३ तारीख २२ मार्च ) लिखा है। यह संवत् कोचीन राज्य में कुछ कुछ चलता रहा परंतु अब उसका प्रचार पाया नहीं जाता. २०-राज्याभिषेक संवत् राज्याभिषेक संवत्, जिसको दक्षिणी लोग 'राज्याभिषेक शक' या 'राजशक कहते हैं. मराठा राज्य के संस्थापक प्रसिद्ध शिवाजी के राज्याभिषेक के दिन अर्थात् गत शक संवत् १५९६ (गत चैत्रादि वि. सं. १७३१) आनंद संवत्सर ज्येष्ठ शुक्ला १३ (नारीख जून ई. स. १६७४ ) से . ज. सो.बंगा, जि.४७, भाग १, पृ. ३६ ... जि. १६ पृ.५. .. १. दा.मा. सी, जि. १, पृ. २६. . का. जि. १६, पृ. ६. पृ. ७६. दा.पा.सी जि.पप्र. २८.२६. Aho! Shrutgyanam
SR No.009672
Book TitleBharatiya Prachin Lipimala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar H Oza
PublisherMunshiram Manoharlal Publisher's Pvt Ltd New Delhi
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size8 MB
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