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卐 स्वाध्याय ॥
आधुनिक सामायिक का प्रयोग किया और उसके जो अनुभव है वह उन्हीं के शब्दों में इस प्रकार है
स्वाध्याय में आवश्यक है वह तो करना ही है, उसके बाद अपनी रूचि और अध्ययन के अनुसार भक्तामर, थोकडे पाठ करना ऐसा कर सकते हैं। कोई इरियावहि पाठ, तस्स उत्तरीकरणेणं पाठ, णमोत्थणं पाठ पढ़ते हैं। मैं इस विषय की विशेषज्ञ तो नहीं हूँ, पर इतना जरूर कहना चाहूँगी, जिसमें मन एकाग्र हो, समता के भाव जगे, ऐसे प्रयोग करने चाहिए।
४८ मिनट की साधना जो मैं करती हूँ, वह आधुनिक सामायिक के रूप में मैंने सामने प्रस्तुत की है। आपके अध्ययन के लिए आप १५-१५ मिनट के तीन विभाग करके अपने रुचि और अध्ययन के अनुसार अपना खुद का ४८ मिनट का एक कार्यक्रम तैयार कर सकते है। जब चाहे, जैसा चाहे उसे बदल भी सकते है। सामायिक एक बार शुरु करनी जरुरी है। समझकर करोंगे तो देखना, बहुत अच्छा लगेगा।
इसके लिए मैं आपको मेरे कुछ अनुभव बताती हूँ। सबसे पहले मैंने भटार विस्तार में जो महिलाएं ५/६ सालों से सामायिक करती हैं, उनको यह आधुनिक सामायिक का प्रयोग करवाया। आचार्यश्री सूरत बिराजे थे, तब से हर शुक्रवार को २५ बहनें सामायिक करती हैं।
जब मैंने उनको Systmatic, ४८ मिनिट की Model के रुप में आधुनिक सामायिक करवायी तो, बहनों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। सभी बहने बहुत खुश थी, जो मैंने बताये वह छोटे-छोटे प्रयोग बहुत ही अच्छे लगे।
जैसे प्रेक्षाध्यान, प्राणायाम और कुछ योग के प्रयोग जो उनके लिए नये थे और उन्होंने प्रथम बार किये, उनको ये प्रयोग उपयोगी लगे। क्षणभर भी प्रमाद न करते। ४८ मिनट का कार्यक्रम अच्छा लगा। बहन संतोष ने कहा, "पहले से इस सामायिक में मन अधिक एकाग्र हुआ और सामायिक जल्दी हो गई ऐसा लगा।संवर का प्रयोग भी शुरु किया।"
जब युवा पीढ़ी से चर्चा होती है तो पता चलता है, उनमें से बहुत कम युवा है जो नियमित सामायिक करते है। सामायिक के बारे में उनके मन में गैरसमज है। अभी डॉक्टर रीना जैन से परिचय हुआ जो अपना मानसोपचार का क्लिनिक चलाती है, जयपुर की स्थानकवासी परिवार से है और शादी करके सूरत में तेरापंथ में आयी है, जिसने पहली बार
डॉ. रीना जैन का पहली बार सामायिक करने का अनुभव
"मेरा नाम डॉ. रीना जैन है। मेरे पिताजी ने मुझे कई बार आग्रहपूर्वक सामायिक का महत्त्व समझाते हुए इसे करने के लिए कहा। उन्होंने यह भी कहा कि, सामायिक भावरुप करने से विशेष फलदायक होती है। यह साधना सभी साधनाओं में श्रेष्ठतम है। ऐसा मैंने भी सुना था, किन्तु मैं यह सोचती थी कि मैं नवकार मंत्र की माला का जप करती हूँ तो वही ठीक है, उससे ज्यादा मैं कुछ तो अपने Career में व्यस्त होने के कारण व कुछ सामायिक को ठीक तरह से न समझ पाने के कारण रुचि न ले पाई।
जब अल्काजी ने मुझे इस आधुनिक सामायिक (जो ४८ मिनट के पैकेज के रुप में है) के बारे में बताया, तो मैंने जिज्ञासापूर्वक इसे करने के लिए हां भर दी।सामायिक पूर्ण करने के बाद मुझे लगा कि मैंने यह ४८ मिनट के समय का पूर्ण एकाग्रता से सदुपयोग किया। जिसमें शांत चित्त से कई आसन, प्राणायाम, नवकार मंत्र का पाठ, अर्हम् पाठ, लोगस्स पाठ, संकट निवारक मंत्र, सुख शांति मंत्र, तनाव मुक्ति मंत्र, पैंसठिया छन्द व ओमकार का उच्चारण आदि किया। यह सब करके मुझे यह महसूस हुआ कि यह करने से तो Serotonin नामक Feel Good Hormone जरुर Secrete होगा। वे इसे करने से मानसिक व शारीरिक Fitness का लाभ मिलेगा व इतना ही नहीं इससे हमें सकारात्मक यानि Positive Vibrations मिलते हैं एवं हमारे Negative emotions जैसे राग, द्वेष दूर रहते हैं। धर्म के साथ "Mind Body Relaxation" का भी इस आधुनिक सामायिक के जरिये बखूबी मुझे अनुभव हुआ। इसके बाद मैंने मन ही मन तय किया है कि, मैं नियमित सामायिक करूँगी। मुझे सामायिक प्रयोग बहुत ही अच्छा लगा।" सूरत।
डॉ. रीना जैन दि. १५ मार्च २०१०
बन अहम्
अर्जिता प्रकृतिः प्रायः, परिवर्लनमहति । सम्वोधनप्रयोगेण, संभवेत् परिशोधनम् ।।
बने अर्ट
अर्जित आतत प्रायः उदल सकती है। प्रदेश के प्रयोग से उसका शोषण हो सकता है।