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________________ ग्रह और नमस्कार मंत्र का भी सम्बन्ध है: प्रत्येक वार के अनुसार भाव, वातावरण, स्थान शुद्धि चित्त समाधि और शक्ति जागरण के लिए मंत्र जप अष्टदल वाले कमल की हृदय में कल्पना करें: प्रथम पद णमो अरहंताणं' को कर्णिका में स्थापित करें। तत् पश्चात् चार पदों को चार दिशावर्ती दलों पर स्थापित करें तथा 'एसो पंच....' - इन चार पदों का चार विदिशाओं वाले दलों पर स्थापित करें। रविवारः णमो मिला पदम हवई) मंगल / एमो पंच णमुक्कारा सोमवार : मो लोए सबसाहण (णमो अरहताणं रियाण णमो आय मंगलवारः IMIDINA बुधवारः (२१ बार प्रत्येक मंत्र बोलना) ऊँ ह्रीं णमो सिद्धाणं ऊँ ह्रीं श्रीं अर्ह श्री पद्मप्रभवे नमः मम सूर्य ग्रह शांति कुरु कुरु स्वाहा। ऊँ ह्रीं णमो अरहताणं ऊँ ह्रीं श्रीं अहं श्री चन्द्रप्रभवे नमः मम चन्द्र ग्रह शांति कुरु कुरु स्वाहा। ऊँ ह्रीं णमो सिद्धार्ण ऊँ ह्रीं श्रीं अर्ह श्री वासुपूज्य स्वामिने नमः मम मंगल ग्रह शांति कुरु कुरु स्वाहा। ऊँ ह्रीं णमो उवज्झायाणं ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह श्री शांतिनाथाय नमः मम बुध ग्रह शांति कुरु कुरु स्वाहा। ऊँ ह्रीं णमो आयरियाणं ऊँ ह्रीं श्रीं अहँ श्री ऋषभनाथाय नमः मम गुरु ग्रह शांति कुरु कुरु स्वाहा। ऊँ ह्रीं णमो अरहंताणं ऊँ ह्रीं श्रीं अहं श्री सुविधिनाधाय नमः मम शुक्र ग्रह शांति कुरु कुरु स्वाहा। ऊँ ह्रीं णमो लोए सव्व साहूणं ऊँ ह्रीं श्रीं अहँ श्री मुनिसुव्रत स्वामिने नमः मम शनि ग्रह शांति कुरु कुरु स्वाहा। चसलाम णमो उवमायाणं naink -blh गुरुवारः शुक्रवार: इस प्रकार नवकार मंत्र की अनेक विधियाँ दी है। अंगुली पर माला फेरने तथा रक्षा कवच के रुप में शरीर के प्रत्येक अवयव पर पदों का न्यास करने से शरीर की रक्षा होती है।ग्रह शांति होती है। नमस्कार महामंत्र की एक-एक अक्षरों में इतना सामर्थ्य है कि जन्म-मृत्यु के क्लेशों से जीव मुक्त कर नवजीवन प्रदान करता है। जं एस नमुक्कारो जम्मजरामरणदारुणसरुवे संसारारण्णाम्मी न मंदपुण्णाण संपउई। जन्म-जरा-भय भयंकर स्वरुप वाले इस संसार में नवकार से ही पार हुआ जा सकता है। कोई भाग्यशाली को ही नमस्कार महामंत्र उपलब्ध हो सकता है। इसलिए इसका स्वरुप अर्थ समझना जरुरी है। शनिवार : बने अहम प्रियं सदैव वक्तव्यं, नाप्रियभाषणं वरम् । सत्ययक्ता पिया भाषा, लोककल्याणकारिणी।। बने अहम - सत प्रिय बोलना साहिए । अप्रिय बोलना अच्छा नहीं है। सत्ययुक्त प्रिय भाषा लोणावण्याणकारी होती है।।
SR No.009660
Book TitleBane Arham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAlka Sankhla
PublisherDipchand Sankhla
Publication Year2010
Total Pages49
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size57 MB
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