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________________ अरहताणं सो सिद्धाण णमो अरहता मो आयरिया गमा TRAile मो लोग ‘मंत्र एक समाधान' में आचार्य महाप्रज्ञ जी कहते हैं... मंत्र उच्चारण से मंत्र की ध्वनि के प्रकम्पन साधक के स्थूल शरीर को प्रभावित करते हैं। मुख्यतः मेरुदण्ड और मस्तिष्कीय न्यूरोन्स। जैसे कंपन बढ़ेगे... सूक्ष्म शरीर प्रभावित होगा। मंत्र रोगमुक्ति, आदतों में परिवर्तन और आन्तरिक विकास।जीवन द्वन्द्वात्मक है। समस्या ही समस्या है। समस्या और तनाव मुक्ति के लिए मंत्र होते हैं। 'मंत्र' के बारे में गुरुदेव तुलसी कहते थे... मन को उर्द्धवमुखी वृत्तियों की ओर ले जाने वाली शक्ति है मंत्र। जीवन निर्माण के अनेक माध्यमों में एक छोटा किन्तु सशक्त माध्यम मंत्र है। मंत्र न कोई जादू, न चमत्कार, न अंधविश्वास, पूरा विज्ञान है। भीतर की अनंत शक्ति का विकास। पवित्रता का अमोध साधन, शांति का संचार-मन। CHY लाल नमस्कार के पाँच पद, अक्षर हैं पैंतीस । ग्यारह लघु चौबीस गुरु, दीर्घ पनर, हृस बीस ।। अहिंसा सुखदा लोके, हिंता तु दुःखकारणम् । न हम्माधिरित्याज्या, दया सेव्या सुखेप्सुमित २० लोक में अहिंसा सुसादायी है। हिंसा दुःसा का कारण है। इसलिए सुरा चाहने वाले प्राणियों |RTICIको हिंसा का परियाग कन्कता जारिया और दया-अहिंसा का आवरण करना चाहिया।
SR No.009660
Book TitleBane Arham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAlka Sankhla
PublisherDipchand Sankhla
Publication Year2010
Total Pages49
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size57 MB
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