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प्रकाशकीय
मुनिराजश्री पूर्णानन्दविजयजी (कुमारश्रमण) अमारी विनंतिथी गत-चातुर्मासमां पर्युषणपर्व निमित्ते आचार्य श्रीकीर्तिसागरसूरीश्वरजी मनी आज्ञाथी झवेरीवाड-आंबली पोळना उपाश्रये रह्या हता. एमनां विद्वत्तापूर्ण व्याख्यानो सांभळीने अमने आनन्द थयो हतो. एक प्रसंगे तेमणे आ प्रमाणनयतत्त्वालोक ग्रन्थ फरीथी छपाय तो साधु-साध्वीसमुदायने अने प्रमागशास्त्रना विद्यार्थीओने उपयोगी थाय, ए हेतुथी तेमणे वात करी अने तेमनी वात अमे सहर्ष वधावी लीची. परिणामे आ ग्रन्थनुं प्रकाशन अमे आंबलीपोळ जैन उपाश्रयना ज्ञानखाता तरफथी करी शक्या छोए. आ ग्रन्थमां मुनिराज श्री. पूर्णानन्दविजयजीए पहेलेथी छेवट सुधी खूब उत्साह बतान्यो छे. पं. श्री. अंबालाल प्रेमचंद शाहे प्रुफ रीडींग अने बीजी व्यवस्था करी अमने निश्चित बनाव्या छे. पं. श्री. दलसुख मालवणियाए उपोद्घात लखी आपी आ ग्रन्थने शोभाव्यो छे, मुद्रक श्री. जयंती दलाले आ ग्रन्थने सुन्दर रीते छापी आप्यो छे ते बदल सौनो अमे आभार मानीए छीए. विद्यार्थीओ आ ग्रन्थनो लाभ लेशे तो अमारा सौनो प्रयत्न सार्थक गणाशे.
अमे छीए आंबली पोळना टूस्टीओ