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________________ तीसरा प्रकाश २१५ असम्यक् वचनरूप अन्वय दृष्टान्ताभास (अन्वय उदाहरणाभास) है। व्यतिरेकब्याप्ति में तो व्यापक-अग्न्यादिक का अभाव व्याप्य होता है और व्याप्य-धूमादिक का अभाव व्यापक होता है। अतएव 'जहां जहां अग्नि का अभाव है वहां वहां धूम का अभाव है, जैसे -तालाब' इस प्रकार दृष्टान्त का सम्यक् वचन बोलना चाहिए। 5 इससे विपरीत कथन करना असम्यक वचनरूप व्यतिरेक उदाहरणाभास है। 'अदृष्टान्तवचन' ( जो दृष्टान्त नहीं है उसका सम्यक् वचन होना ) नाम का दूसरा उदाहरणाभास इस प्रकार है - अन्वयव्याप्ति में ब्यतिरेक दृष्टान्त कह देना और ब्यतिरेकब्याप्ति में अन्वय दृष्टान्त बोलना, उदाहरणाभास है । इन दोनों के 10 उदाहरण स्पष्ट हैं। शङ्का-'गर्भस्थ मैत्री का पुत्र श्याम होना चाहिये, क्योंकि वह मैत्री का पुत्र है, जो जो मैत्री का पुत्र है वह वह श्याम है, जैसे उसके दूसरे पुत्र' इत्यादि अनुमानप्रयोग में अन्वयदृष्टान्त स्वरूप पाँच मैत्रीपुत्रों में जहां जहां मैत्री का पुत्रपना है वहां वहां श्यामता है' यह 15 अन्वयव्याप्ति है और ब्यतिरेक दृष्टान्तस्वरूप गौरवर्ण अमैत्रीपुत्रों में सब जगह 'जहां जहां श्यामता नहीं है वहां वहाँ मैत्री का पुत्रपना नहीं है' यह व्यतिरेकब्याप्ति सम्भव है। अतः गर्भस्थ मैत्रीपुत्ररूप पक्ष में जहां कि साधन निश्चितरूप से है, साध्यभूत श्यामता का सन्देह गौण है और इसलिए यह अनुमान भी सम्यक् हो जावेगा- 20 अर्थात् दृष्टान्त का उपयुक्त लक्षण मानने पर मैत्रीतनयत्वहेतुक श्यामत्वसाध्यक प्रस्तुत अनुमान भी समीचीन अनुमान कहा जावेगा, कारण कि उसके अन्वय दृष्टान्त और ब्यतिरेक दृष्टान्त दोनों ही सम्यक् दृष्टान्तवचनरूप हैं ? समाधान नहीं; प्रकृत दृष्टान्त अन्य विचार से बाधित है। 25
SR No.009648
Book TitleNyaya Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmbhushan Yati, Darbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1968
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size34 MB
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