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श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम्
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षष्ठ्यान्त्यस्य | ७|४|१०६ ।।
षष्ठ्या रूप्य - ट् |७|२|८०|
षात्पदे | २|३|१२||
षादिहन - णि 1२19199०॥
पावटाद्वा | २|४|६९ ॥ षि तवर्गस्य |१| ३ |६४॥ षितोऽङ् ||५|३|१७७|| ष्ठिवूकुम्वाचमः |४| २|११०॥ ष्ठिसिवो वा |४| २|११२ ॥ या पुत्रपत्योः - षे | २|४|८३ ॥ स
संकटाभ्याम् |७|३|८६ ॥ संख्याऽक्ष - तौ |३|१|३८||
संख्याकात् सूत्रे | ६| २|१२८|| संख्याडते कः १६|४|१३० ॥
संख्याता - वा |७|३|११७॥ संख्यातैक - रत् |७|३|११९॥ संख्यादेः पादा- च |७|२।१५२।
संख्यादेर्गुणात् | ७|२|१३६ ॥ संख्यादेर्हाय - सि | २|४|९||
संख्यादेश्चा-चः |६|४|८०||
संख्याधि - न |७|४|१८|| संख्यानां र्णाम् | १|४|३३|| संख्याने |३|१|१४६||
संख्यापाण्डूमेः | ७|३|७८||
संख्यापूरणे डट् | ७|१|१५५।। संख्यायाः संघ - ठे | ६|४|१७१ ॥
संख्याया धा | ७ | २|१०४॥ संख्याया नदी -म् | ७|३|९१।। संख्याव्ययादङ्गुलेः | ७|३|१२४|| संख्या समासे | ३|१|१६३॥ संख्या समाहारे | ३|१|२८|| संख्या समाहारे-यम् | ३|१|१९|| संख्यासाय- वा 19|४|५०॥ संख्यासंभ-र्च |६|१|६६॥ संख्याहर्दिवा - टः | ५|१|१०२ ।। संख्यैकार्था - शस् |७|२|१५१ ।। संगतेऽजर्यम् 141914 ॥
संघघोषा - ञः | ६ | ३|१७२॥
संघेऽनूर्ध्वे |५|३|८०|| संचाय्यकुण्ड - तौ 14191२२ ॥ संज्ञा दुर्वा |६|१|६|| संध्यक्षरात्तेन | ७|३|४२ ॥ संनिवेः | ३|३|५७||
संनिवेरर्दः |४|४|६३ ||
संनिव्युपाद्यमः |५|३|२५|
संपरिव्यनुप्राद्वदः |५|२|५८| संपरेः कृगः स्सद् | ४|४|११ ॥