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श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम्
दागोऽस्वास्यप्रसार० | ३ | ३|५३|| दासिशद - रुः | ५|२|३६|| दाण्डाजिनि-कम् | ७|१|१७१ ।। दामः संप्रदा - च |२| २|५२॥ दामन्यादेयः | ७|३|६७॥ दाम्नः | २|४|१०|| दावत्सावन्मीवत् |४|१|१५|| दिक्पूर्वपदादनाम्नः | ६ |३|२३|| दिक्पूर्वात्तौ |६|३|७१ ॥ दिक्शब्दात्तीर - रः । ३।२।१४२ ॥ दिक्शब्दा- म्याः | ७|२।११३॥ दिगधिकं संज्ञा दे |३|१|९८ || दिगादिदेहांशाद्यः | ६ | ३|१२४॥ दितेश्चैयण् वा | ६ | १|६९ ॥ दिद्युद्ददृज्ज -पः | ५|२|८३ ॥ दिव औः सौ | २|१|११७॥ दिवस् दिवः- वा | ३|२|४५ ।। दिवादेः श्यः | ३ | ४ | ७२ ॥
दिवो द्यावा | ३ |२| ४४॥ दिशो रूया - ले | ३|१|२५|| दियो | ४|४|८९ || दीड : सनि वा | ४|२|६॥ दीपजनबुधि वा | ३|४|६७॥ दीप्तिज्ञानयत्न-दः |३|३|७८॥
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दीय दीङ: - रे | ४ | ३ |९३॥
दीर्घः | ६|४|१२७|| दीर्घड्या - सेः | १|४|४५ ॥ दीर्घमवोऽन्त्यम् | ४|१|१०३ ॥ दीर्घश्च्विय च | ४ | ३|१०८॥
दीर्घोनाम्य - षः |१|४|४७ ॥ दुःखाप्रातिकूल्ये | ७|२| १४१ ॥ दुःस्वीषतः खल | ५|३|१३९॥ दुगोरु च |४| २|७७|| दुनादिकुर्वि ञ्यः | ६ |१|११८।। दुर्निन्दाकृच्छ्रे | ३|१|४३|| दुष्कुलादेवा |६|१|१८|| दुहदिहलिह-कः |४|३|७४॥ दुहेर्बुधः | ५|१|१४५ ||
दूरादामन्त्र्य-नृत् | ७|४|९९ ॥ दूरादेत्यः | ६ | ३ | ४ || दृग्दृशदृक्षे । ३।२।१५१ ।। दृतिकुक्षि- यण् |६|३|१३० ॥ दृतिनाथात्पशाविः ।५।१।९७॥ दृन्पुनर्वर्षाकारैर्भुवः | २|१|५९ ॥ दृवृगस्तुजुषे - सः | ५ | १|४०| दृशः क्वनिप् |५|१|१६६ ।। दृश्यभिवदोरात्मने | २|२|९|| दृश्यर्थैश्विन्तायाम् | २|१|३०|