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श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम्
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त्यादेश्च प्र- पप |७|३|१०||
त्यादी क्षेपे | ३|२|१२६ ॥
त्रने वा | ४|४|३|| त्रन्त्यस्वरादेः | ७|४|४३ ॥ पुजतोः षोऽन्तश्च |६| २|३३||
त्रप् च | ७|२|९२॥
सिगृधि - | ५|२|३२|
त्रिककुद् गिरौ | ७|३|१६८ ।। त्रिचतुरस् - दी 1२1919||
त्रिंशद्विशते थे |६|४|१२९ ॥
त्रीणि त्रीण्यन्य- दि | ३|३|१७|
स्तृ च | ७|१|१६६ || स्त्रयः |१|४|३४|| शचात्वारिंशम् | ६|४|१७४ ।।
त्वते गुणः | ३|२|५९||
त्वमहं - कः | २|१|१२॥
त्वमौ प्र-न् ।२।१।११।।
वे |२|४|१००||
त्वे वा |६|१|२६||
थ
थे वा |४|१|२९|| यो न्यू | १|४|७८||
द
दंशसञ्जः शवि | ४|२|४९ ॥
दंशेस्तृतीयया |५|४|७३ || दंशेत्रः |५|२|१०|| दक्षिणाकडङ्गर-यौ |६|४|१८१॥
दक्षिणापश्चात्य |६|३|१३|| दक्षिणेर्मा व्याधयोगे | ७|३|१४३॥
दक्षिणोत्तराच्चात | ७|२|११७ ॥
दगुकोशल- दिः |६|१|१०८|| दण्डादेर्यः |६|४|१७८॥
दण्डिहस्ति-ने | ७|४|४५ ॥
दत् |४|४|१०||
दध्न इक | ६ |२| १४३॥ दध्यस्थि-न् ।१।४।६३। दध्युरः स - लेः | ७|३|१७२ ॥ दन्तपादना-या | २|१|१०१ ॥
दन्तादुन्नतात् |७|२|४०||
दम्भः |४|१|२८|| दम्भो धिप्धीप् |४|१|१८||
दयायास्कासः | ३ | ४|४७॥ दरिद्रोऽद्यतन्यां वा | ४|३|७६ ॥ दर्भकृष्णाग्निशर्म - स्ये | ६ |१|१५७ || दशनावोदै-थम् ||४|२|५४ ॥ दशैकादशादिकश्च |६|४|३६||
दश्चाSSङः |५|१|७८ ॥
दस्ति | ३ |२|८८||