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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यही है जिंदगी ४८ व२४. सुखों की याद नहीं, दुःखों की फरियाद नहीं...३ सुखों की याद! दुःखों की फरियाद! याद और फरियाद में उलझ गया है मन! विचारसृष्टि के केन्द्रबिन्दु बन गए हैं, सुख और दुःख । अपने ही सुख याद आते हैं, अपने ही दुःखों की फरियाद करता हूँ। जानता हूँ कि यह 'आर्तध्यान' है । आर्तध्यान का फल भी जानता हूँ... फिर भी इससे मुक्ति नहीं पा रहा हूँ। इस बंधन में भय और प्रलोभन पनप रहे हैं। निर्भयता और निःस्पृहता से वंचित रह गया हूँ। निर्भयता का आनंद और निःस्पृहता की प्रसन्नता स्वप्न बनकर रह गई है। सुखों की याद में ख्याल ही नहीं रहता की 'मैं प्रलोभन के नागपाश में जकड़ा जा रहा हूँ।' दुःखों की फरियाद में भान (होश) ही नहीं रहता कि 'मैं भय-विषधर से काटा जा रहा हूँ।' वनवास में श्रीराम का अनुसरण करती... श्रीराम के पदचिह्नों पर प्रसन्नचित्त चलती हुई सीताजी का विचार करता हूँ... उस महासती के चरणों में भाववन्दना हो जाती है। सुखों की कोई याद नहीं! दुःखों की कोई फरियाद नहीं! लक्ष्मणजी की ओर इस दृष्टिबिन्दु से देखता हूँ... वे भी याद-फरियाद से मुक्त! उनको अपने दुःख-सुख का विचार ही कहाँ था? श्रीराम और सीताजी के ही सुख-दुःख के विचार थे उनके मन में! ___ सोचता हूँ... कैसे वे याद-फरियाद के बिना जीवन जी रहे थे? सीताजी ने कभी भी दशरथ के विरुद्ध या कैकयी के विरुद्ध फरियाद नहीं की! अरे, रामचन्द्रजी के विरुद्ध भी लव-कुश के सामने कभी फरियाद नहीं की! सीताजी को जहाँ अपने सुखों की ही याद नहीं थी... फिर दुःखों की फरियाद होती कहाँ से? अपने सुख-दुःखों के विचारों में उन्होंने अपने मन को उलझने नहीं दिया। जब तक वे श्रीरामचन्द्रजी के पास रहीं, उन्होंने श्रीराम के सुख-दुःखों के विचार किए | जब वे श्रीराम के पास नहीं रहीं, लव-कुश के सुख-दुःख का ख्याल करती रहीं! जब लव-कुश भी उनके पास नहीं रहे, वे आत्मशुद्धि के त्यागमार्ग पर चल पड़ी। मेरे मन में यह निर्णय तो हो ही गया है कि सुखों की याद और दुःखों की फरियाद से ही अशांति और संताप हैं, राग-द्वेष के अनेक द्वंद्व हैं | मैं चाहता For Private And Personal Use Only
SR No.009641
Book TitleYahi Hai Jindgi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages299
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
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