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किया है। अनंतकायिक वनस्पति खाने में ज्यादा हिंसा होती है।
खाना ही है तो 'प्रत्येक-वनस्पति' खानी चाहिए। यह खाने में हिंसा का दोष कम लगता है। इसलिए पर्व के दिनों में वनस्पति खाने का जैन धर्म में निषेध किया गया है। संपूर्णतया वनस्पति का त्याग करना चाहिए | वैसे हर महीने की अष्टमी, चतुर्दशी... पंचमी... एकादशी के दिन वनस्पति का त्याग करना चाहिए।
पर्युषण-महापर्व के दिनों में, चैत्री-आसोज की आयंबिल ओली में... और दूसरे धार्मिक पर्यों के दिनों में भी वनस्पति का त्याग करना चाहिए।
चेतन, कुछ वर्षों से जैन समाज में भी अनंतकाय-जमीनकंद खाने का प्रचार बढ़ा है। 'अनंतकायिक खाना, बड़ी हिंसा है' यह बात भी भूली जा रही है। समाज के आचार-विचारों में बड़ी गिरावट आ रही है। सब को सन्मति मिलो...
- भद्रगुप्तसूरि
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