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इसलिए ‘पराघात नामकर्म' बँधता रहे, वैसी सत्प्रवृत्ति करते रहना है। संसार-व्यवहार में यह कर्म बहुत ही उपयोगी है। दूसरों को धर्ममार्ग पर चलाए जा सकते हैं और गलत रास्ते पर भी चलाए जा सकते हैं। 'पराघात-नामकर्म' के विषय में इतनी जानकारी पर्याप्त होगी! कुशल रहना,
- भद्रगुप्तसूरि
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