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ध्रुव राहु का विमान अति श्याम होता है । वह चन्द्र के विमान की नीचे चार अंगुल दूर चलता है। इस की वजह से चन्द्र में वृद्धि हानि का भास होता है।
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राहु का विमान छोटा होता है, चन्द्र का विमान बड़ा होता है, फिर भी राहु का विमान अति श्याम होने से उसकी कान्ति विस्तृत होती है, उसी कारण चन्द्र ढंक जाता है। तब चन्द्रग्रहण होता है। कम से कम छह महीने में और ज्यादा से ज्यादा ४२ महीने में चन्द्रग्रहण होता है। सूर्यग्रहण भी कम से कम छह महीने से और ज्यादा से ज्यादा ४८ महीने से होता है।
शेष कुशल
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- भद्रगुप्तसूरि