________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
फर्क है, तेरी समझ में आ गया न? वैसे नाम समान दिखते हैं, परंतु कार्य में अंतर है। पर्याप्ति उत्पादक है, जब कि यह नामकर्म नियंत्रक है। __नामकर्म की ज्यादातर उत्तर-प्रकृतियाँ, अवांतर प्रकृतियाँ जीव के शरीर के साथ संबंधित हैं। कुछ प्रकृतियाँ मन के भावों के साथ संबंधित हैं। कुछ नामकर्म जीव के प्रभावों के साथ संबंधित हैं। ऐसे सोचा जाय तो हमारी मानसिक, शारीरिक, सामाजिक... हर बात पर कर्मों का प्रभाव है।
इन सभी कर्मों का नाश करेंगे, तभी आत्मा की मुक्ति होनेवाली है | भगवंत ने कहा है - कर्मों को जान और कर्मों को तोड़ने का पुरुषार्थ कर!
आज जो बातें लिखी हैं, उन पर चिंतन करना। कुशल रहना,
- भद्रगुप्तसूरि
१९७
For Private And Personal Use Only