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- मित्र-स्वजनों की ओर से धोखाबाजी, - विश्वासघात...
ऐसे अनेक आघातजनक प्रसंग आयुष्य कर्म को तोड़ सकते हैं। मनुष्य की मृत्यु हो जाती है। कुछ उदाहरण बताता हूँ - ____ - एक महिला को अपने पति पर अति स्नेह था। पति कार्यवश दिल्ली गया था। दूसरे दिन प्लेन से आनेवाला था। पति के मित्र ने जाकर उसकी पत्नी को मजाक में कहाः 'मेरा मित्र प्लेन के अकस्मात में मर गया है...' पत्नी के मुँह से चीख निकल गई... जमीन पर गिर पड़ी... और तूर्त ही उसकी मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु का समाचार आघात बन गया। आयुष्य कर्म टूट गया। ___ - अहमदाबाद में एक मकान की पहली मंजिल पर एक परिवार रहता था, दूसरी मंजिल पर दूसरा परिवार रहता था। एक दिन सुबह उस मकान के आगे सरकारी गाड़ी आकर खड़ी रही और उसमें से १०/१२ सरकारी अफसर बाहर आए। दूसरी मंजिल पर रहनेवाले पुरुष को लगा कि उसको पकड़ने के लिए ये लोग आए है... वह घबरा गया... हृदय पर आघात हुआ और मर गया। वे सरकारी अफसर उसको पकड़ने नहीं आए थे। वे लोग पहली मंजिल पर रहनेवाले को पकड़ने आए थे। परंतु वह निर्भय था। उसको आघात नहीं लगा। वह मरा नहीं।
- बंबई की एक मार्केट में एक पेढी के दो मालिक थे। दोनों भागीदारों में आपस में गहरा प्रेम था। पेढी बीस वर्ष से चल रही थी। एक
दिन 'अ' को मालूम हुआ कि 'ब' ने विश्वासघात किया है और दस लाख रुपये खा गया है । उसको आघात लगा। बेहोश हो गया, हास्पिटल में भर्ती किया गया। यहाँ उसकी मृत्यु हो गई। सोपक्रम आयुष्य होने पर ऐसी घटना घट सकती है।
चेतन, एक बाँध टूट गया । बाँध का पानी पासवाले नगर में प्रवेश कर गया। राजमार्ग पर बीस-बीस फूट ऊपर पानी बहने लगा। कई घर गिर गए, कई मनुष्य और पशु बह गए। धन-माल और मिल्कत बह गई... बहुत बड़ा नुकसान हुआ । एक परिवार में से पत्नी, बच्चे... माता... सब बह गए... मात्र घर का पुरुष बच गया। बाढ़ का पानी उतर गया। उस पुरुष ने अपने परिवार को खोजा. कोई नहीं मिला... उसको गहरा आघात लगा... रात्रि में वह सोया सो सोया,
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