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बताइए । प्रेम से बताइए | संभव है कि वह सुधरेगा।
चेतन, मनुष्य का यह स्वभाव है कि वह अपनी प्रशंसा चाहता है, दुनिया की दृष्टि में उच्चता चाहता है, परंतु वह उच्च गोत्र कर्म के बिना नहीं मिलता है। उच्च गोत्र कर्म बाँधा होगा तभी वह उदय में आएगा। इस जीवन में उच्च गोत्र कर्म बाँध लेना है। इसलिए जो उपाय बताए हैं, वे उपाय करना।
चेतन, तेरे प्रश्न का समाधान अवश्य होगा इस पत्र से। तू पत्र लिखना। उच्च-नीच का भेद कर्मकृत है और वह अनादिकाल से है। शेष कुशल,
- भद्रगुप्तसूरि
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