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पहेलियाँ में जाना पड़ता है और पूरे शब्द के अर्थ की वस्तु तुम्हारे चरणों में देखी जा सकती है।'
कुमार ने पल भर की देरी किये बगैर कहा : 'वह तीन अक्षर का शब्द है 'पावड़ी'।
पा-जाने से 'वड़ी' शब्द बनता है, जिसका प्रयोग शादी के समय होता है। वनिकाल दें तो 'पाड़ी' बनेगा यदि घर में 'पाड़ी' हो तो दूध-घी की सुविधा रहती है। ड़ी-जाने से 'पाव' शब्द बनता है, उसका अर्थ है पाप | पाप करने से दुर्गति मिलती है, और पावड़ी तो पैरों में पहनी जाती है-यह तो सभी जानते ही हैं।
सभागृह आनंद से नाच उठा। लोगों ने अमरकुमार का हार्दिक अभिनंदन किया। राजा ने भी दोनों को धन्यवाद दिया और कहा :
'अब मैं सवाल पूछता हूँ। पहले अमरकुमार को जवाब देना होगा।
'सरोवर का सार क्या? दानव-वंश का विख्यात राजा कौन? सदा सौभाग्यवती नारी कौन-सी? और मारवाड़ के आदमी किस वेशभूषा से पहचाने जाते हैं?
अमरकुमार ने पलभर सोचकर कहा ; 'महाराजा, उसका प्रत्युत्तर है : 'कंबलिवेशा!'
* 'क' का अर्थ है पानी। और पानी ही सरोवर का सार है। * 'बलि' नामक दानव-वंश का विख्यात राजा हो गया है। * 'वेशा' यानी 'वेश्या' वही सदा सौभाग्यवती नारी है।
* मारवाड़ के लोग कंबली से पहचाने जाते हैं। इस लिए उन्हें 'कंबलिवेशा' कहा जाता है।
राजा ने कहा : बिलकुल सत्य है तुम्हारा जवाब!
राजसभा में 'धन्य' 'धन्य' की आवाजें गूंजी। राजा ने सुरसुंदरी से सवाल पूछा :
'काव्य का सच्चा रास कौन-सा होना चाहिए? चक्रवाक को दुःख कौन देता है? असती एवं वेश्या को कौन पुरूष प्रिय होता है? इन सवालों का जवाब एक ही शब्द में देना।'
सुरसुंदरी ने कहा : 'अत्थमंत' * अत्थमंत यानि अर्थयुक्त। जो काव्य अर्थ बिना का हो, वह काव्य नहीं है। यानी काव्य का रस उसका अर्थ है।
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