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आंसुओं में डूबा हुआ परिवार
३२९ रोज़ाना अनित्यादि बारह भावनाओं से भावित बनना। गुरूविनय करना । बाह्य-आभ्यंतर बारह प्रकार की तपश्चर्या करना । ज्ञान-ध्यान में लीन बनकर कर्मशत्रु को खतम करना।'
देशना पूर्ण हुई।
पूज्य गुरूदेव ने सुरसुंदरी को साध्वी सुव्रता को सौंपकर श्रमणीवृंद में शामिल कर दिया। अमरकुमार को साथ लेकर उन्होंने चंपानगरी से प्रयाण किया।
रत्नजटी, राजा गुणपाल, राजा रिपुमर्दन और समग्र परिवार ने अमर मुनिराज को भावपूर्ण वंदना की और नगर में वापस आये।
+ + + ___ सभी उदास थे... सभी के दिल टूटे हुए थे। अमरकुमार-सुरसुंदरी के बिना संसार सूना वीरान-सा हो गया था। महल जैसे श्मशान बन चुके थे!
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