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नदिया सा संसार बहे
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४३. नदिया-सा संसार बहे
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जब अमरकुमार के जहाज़ चंपानगरी के निकट पहुंचे, तब अमरकुमार ने एक जहाज़ को संदेश देकर आगे भेजा, समाचार देने के लिए।
संदेशवाहक ने चंपानगरी में पहुँचकर महाराजा रिपुमर्दन और नगरश्रेष्ठी धनावह को अमरकुमार के आगमन का संदेश दिया। राजा और श्रेष्ठी दोनों समाचार सुनकर हर्ष से उत्फुल्ल हो उठे । राजा ने मंत्री को बुलाकर पूरे नगर को सजाने की आज्ञा दी।
नगर के राजमार्गों को पचरंगी फूलों से सजाया गया। जगह-जगह पर सुगंधित धूप सुलगाया गया। रास्तों को स्वच्छ समतल और सुशोभित किया गया | रास्तों पर खुशबूदार भरपूर पानी सिंचवाया गया। प्रजाजनों ने अपने गृह-द्वारों पर तोरण बाँधे, बाज़ारों को सजाया गया। __ अमरकुमार परिवार के साथ नगर के बाहरी इलाके में आ गया था। महाराजा और धनावह श्रेष्ठी ने भव्य स्वागत-यात्रा का आयोजन किया था। हज़ारों नगरवासी जन अमरकुमार का भव्य स्वागत करने के लिए नगर के बाहर आ पहुँचे। मंत्रीवर्ग, अधिकारी लोग और श्रेष्ठी, सभी ने अमरकुमार का भव्य स्वागत किया।
अनेक वाद्यों के नाद के साथ अमरकुमार ने नगरप्रवेश किया | महाराजा के द्वारा भेजे गये भव्य स्वर्णरथ में वह बैठा । अगल-बगल में ही रंभा और उर्वशी जैसी सुरसुंदरी और गुणमंजरी बैठीं। चंपानगरी के राजमार्ग पर से शोभायात्रा गुज़रती हुई राजमहल की ओर आगे बढ़ने लगी। मंगल गीत गाये जा रहे थे। अक्षत और पुष्पों से नगर की स्त्रियाँ बधाई दे रही थीं।
नगर के प्रमुख श्रेष्ठीगण मूल्यवान भेंट-सौगातें दे रहे थे। कुशलपृच्छा करते थे। अमरकुमार विनम्रता से हाथ जोड़कर उनका अभिवादन कर रहा था। अमरकुमार का विपुल वैभव उसके पीछे ही वाहनों में आ रहा था। मृत्युंजय घोड़े पर सवार होकर सौ सैनिकों के साथ आगे चल रहा था। मालती दोनों हाथों में दिव्य पंखे लेकर अमरकुमार के पीछे रथ में खड़ी थी।
सारी चंपानगरी उत्सव से पगलायी जा रही थी। शोभायात्रा राजमहल पहुँची। महाराजा रिपुमर्दन महल की सीढ़ियाँ उतरकर नीचे आये। अमरकुमार
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