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___ भाग्ययोग से दूसरे ही दिन नगर में एक विशिष्ट ज्ञानी आचार्य भगवंत पधारे। धनवती ने वंदना करके कुशल-पृच्छा की और प्रार्थना की : 'गुरूदेव, आप यहां कुछ समय निवास करने की कृपा करें। आपके चरणों में बैठकर मेरा पुत्र अमर धर्मबोध प्राप्त करना चाहता है।'
गुरूदेव ने प्रार्थना स्वीकर कर ली। अमरकुमार प्रतिदिन गुरुदेव के पास जाने लगा।
जब सुरसुंदरी को धनवती से यह समाचार मिला तब वह आनंद से नाच उठी। और एक दिन हवेली में जा पहुंची। 'क्यों श्रेष्ठीपुत्र, अब दीक्षा का जुलूस कब निकल रहा है?' 'राजकुमारी का अध्ययन पूरा होने पर ही तो उसका जुलूस निकल सकता है।' अमरकुमार ने सलीके से कहा और सारी हवेली किलकारियों से गूंज उठी।
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