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चोर ने मचाया शोर
२३३ के लिए भोजन का | बाबा ने उससे कहा : 'तेरा बेटा तो शराबी है शराबी! तेरे यहाँ कैसे भोजन लूँ? तुझे परीक्षा करनी हो तो आज रात जब वह सोया हुआ हो तब जाकर उसका मुँह सूंघना ।' बुढ़िया बेचारी भारी मन से चली गयी। इधर भीमा की पत्नी आयी महाराज के दर्शनार्थ। उसने भी महाराज को भोजन के लिये आमंत्रण दिया। __ बाबा ने कहा : 'तेरे घर में तो पैर रखना पाप है...।' 'क्यों बाबाजी, ऐसी बुरी बात क्यों करते हो?' 'और नहीं तो क्या करूँ? तेरा पति खुद उसकी माँ के साथ... विश्वास नहीं हो तो रूबरू देख लेना', सुनकर भीमा की पत्नी को गुस्सा आ गया।
रात्रि में बाबाजी भीमा के घर के पास ही एक पेड़ के नीचे अपना डेरा लगाकर जम गये। आधी रात गये घर में बड़ा हंगामा मच गया। बुढ़िया बेटे का मुँह सूंघती है..., इधर बेटा घबराया... वह सोचता है 'ज़रूर यह डायन है...' वह डंडा लेकर खड़ा हो गया...| उधर भीमा की पत्नी भी हाथ में लकड़ी लेकर छुपी हुई थी... वह भी दौड़ती हुई आ गयी... और सासू को मारने लगी... तीनों लड़ते-झगड़ते हुए घर के बाहर रास्ते पर आ गये। इधर मौका देखकर बाबाजी घुस गये घर में... और जो कुछ भी था घर में, लेकर अंतर्धान हो गये!
जब भीमा बाबाजी को खोजता हुआ उनके स्थान पर पहुंचा तो बाबाजी का अता-पता नहीं था। खोजते-खोजते थक गया | घर में गया तो सब कुछ चुरा लिया गया था... बेचारा सिर पीटकर रह गया।'
विमलयश इतना हँसा कि उसकी आँखों में आँसू आ गये...। _ 'मालती... वह इस नगर में अब इन बाबा लोगों से भी बचना होगा...। अच्छा तो यह हुआ कि तेरे आदमी ने बीड़ा नहीं उठाया... वर्ना...'
"हूँ... वह क्या बीड़ा उठायेगा? कुमार, उसे तो पान के बीड़े दे दो, चबा जाएगा...।' __'मालती, फिर क्या हुआ? कोई आगे आया कि नहीं चोर को पकड़ने के लिए।' __'कुमार, आगे तो बहुत सारे लोग आये... पर जो आये सभी लुट गये। नगर में तो हाहाकार मच गया है। आखिर महामंत्री ने गली-गली में सैनिकों के दस्ते लगा दिये। नगर के चारों दरवाजों पर शस्त्रसज्जित सैनिकों को
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