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राज को राज ही रहने दो
१६६ उसका मन काफी उदास था। मंत्री ने उसके पैर भी धोये एवं आधा श्लोक बोला... वह सुनकर राजा चौंका और उसने जवाब दिया :
'कुब्जोऽयं जायते राजा, राजा भवति भिक्षुकः।' यानी कि मंत्री ने कहा : 'छठे कान में गयीं हुई बात फैल जाती है, पर कुबड़े से नहीं फैलती...' राजा ने कहा : 'यह कुबड़ा राजा बनता है... एवं राजा भिखारी बनता है...' ____ मंत्री सुनकर खुश हो उठे। उन्हें जिनकी तलाश थी, वह असली राजा ब्राह्मण के रूप में मिल गया था। मंत्री ने राजा को अपनी हवेली में ले जाकर छिपाकर रखा । राजा से सारी बात जान ली।
फिर महामंत्री रानी के पास गये... तो रानी का तोता मरा हुआ रानी की गोद में पड़ा था... रानी आँसू बहा रही थी। चूंकि उसे अपना तोता बड़ा प्यारा था। मंत्री ने अवसर देखकर कहा : ___ 'महादेवी, महाराजा को बुलाकर कहिए कि इस तोते को किसी दुष्ट बिल्ली ने मार डाला है... तोता मुझे जान से भी ज्यादा प्यारा है... आप इसे किसी भी उपाय से सजीव कीजिए... योगी... सन्यासी को बुलाकर, मंत्र पढ़वाकर भी इस तोते को सजीव कीजिए... बस फिर मैं आप कहेंगे वैसा करूँगी... यदि आपका मुझसे सच्चा प्यार है, तो किसी भी तरीके से इस तोते को सजीव करें... वरना इस तोते के साथ मैं भी अग्निस्नान कर लूंगी।'
रानी ने राजा को बुलाकर उसी तरह से बात कही। राजा के शरीर में रहे हुए कुबड़े ने सोचा : मैं खुद ही तो मांत्रिक हूँ... मेरी परकाया प्रवेश विद्या के बल पर तोते के मृतदेह में प्रवेश करके एक बार उसे जिंदा कर के बता दूँ... रानी मुझ पर खुश हो जाएगी... वह फिर मेरी दासी बन जाएगी...' यों सोचकर उसने रानी से कहा : 'देख, तेरा यह तोता अभी जिंदा हो जाएगा... पर तब तक मेरा शरीर निष्प्राण होकर पड़ा रहेगा... तू उसे सम्हालना। एकाध प्रहर के बाद मैं फिर अपने शरीर में लौट आऊँगा।' 'ओह... यह तो काफी गज़ब! क्या आप खुद यह चमत्कार कर दिखायेंगे?'
कुबड़े ने राजा का शरीर छोड़ा और तोते के शरीर में प्रवेश कर दिया। तोता जिंदा हो उठा। रानी नाच उठी। तोते को खिलाती हुई वह दूसरे कक्ष में चली गयी।
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